Tuesday 9 April 2024

नवरात्र

भावनाओं की कलश 
हँसी की श्रोत,
अहम को घोल लेती 
तुम शीतल जल,

तुम रंगहीन निष्पाप 
मेरी घुला विचार,
मेरे सपनों के चित्रपट 
तुमसे बनते नीलकंठ,

अलग करती अनुराग 
जो सर्व-सुलभ अनुराग,
तुम्हारी बातों की शुरुआत 
मेरे लिए ही राम!

No comments:

Post a Comment

संबाद

कुछ थोड़ा- सी बात  कुछ टिप्पणी और ऐतराज़, मुर्ख बन करें सम्मेलन  मुर्ख से मिले हम चेतन, दीवार पर चिपकी हुई  हमारी आपकी बात, दीवार पर लटकाते ...