भावनाओं की कलश हँसी की श्रोत, अहम को घोल लेती तुम शीतल जल, तुम रंगहीन निष्पाप मेरी घुला विचार, मेरे सपनों के चित्रपट तुमसे बनते नीलकंठ, ...