तब मैं दखल करुंगा ठीक,
जब मुझको वो बुलवायेंगे
तब हाजिरी लगाएंगे निर्भीक,
अभी देख रहे हैं चुप प्रपंच
अभी मानव के हैं रंग-मंच,
अभी हो-हल्ला है लोगों का
अभी अपने सभी मशवरे दें,
अभी बहुत पुराने किस्से भी
आयेंगे सामने दिखने में
अभी जीत के सवा-शेर अपने
सेखियां बघारने आयेंगे,
अभी उनको गोली मारने को
बंदूकें सभी उठाएंगे,
अभी कौन सुनेगा
नमक बनाने का तजुर्बा बापू का
अभी कौन हमारे बातों पर
ध्यान भी देगा इतना-सा,
हम अपनी दखल लगाएंगे
जब अपना नाम मुकर्रर हो,
हम जय श्री राम सुनाएंगे,
राम ऐसा जब चाहेंगे!