Thursday 31 August 2023

वही

वही जिसे न रक्षा की जरूरत है 
जिसे बंधन ही पसंद नहीं,
वही जो सूरज की किरणों जैसी 
निर्वात और सघन मे है,
जो मेघ से चल, बूँदों-सी बरसी 
शहर और निर्जन मे है,
चेतना समान जो हुई 
जड़- चेतन के स्पन्दन मे है,
जो छोड़ अयोध्या आ निकली 
विचरण करती कानन मे है,
जो शिव तत्व-सा फैल गई 
वसुधा के कण-कण मे है,

जो मुक्ति की अभिलाषा को 
तृप्ति दिए बंधन मे है, 
जो युक्ति की परिभाषा लिए
विचारों के मंथन मे है,
जो परावर्तित होती रोशन होती 
हर आँखों के दर्पण मे है,
जो जीत से आगे पहुँच गई
निःस्वार्थ समर्पण मे है,
जो आंसू बनकर ढुलक रही
अबोध के क्षण क्रंदन मे है!
 

Wednesday 30 August 2023

कमीज़ की तमीज

कहाँ से है अंदर 
और बाहर कहाँ तक है,
मेरी कमीज़ से तमीज 
उजागर कहाँ तक है?

ये बेल्ट के ऊपर 
उभरी हुयी क्यूँ है 
ये आस्तीन भी आधी 
उतरी हुयी क्यूँ है?

ये टोकने की जिद है 
मुझे ढूंढती आयी,
आज गिरहबान खुली 
उठती हुयी क्यूँ है?

सब धार ले पोशाक 
संत मैकाले वाली,
'बापू' की तस्वीरे आज 
खुरची हुयी क्यूँ है?

ये कमीज़ मे तमीज 
लिपट गई क्यूँ है?
कुर्ता बनी मूर्खता की 
प्रतीक हुई क्यूँ है? 

सब राम बनने के लिए 
कुछ साफ़ हो गए हैं,
कुर्ता-पायजामा छोड़कर 
मेहमान हो गए हैं,

कुछ निकल रहा पीछे 
मेरी पुंछ है शायद,
लंका जलाने के लिए 
है छूट गई शायद! 🙏

Monday 28 August 2023

आसना

ना तुम ही मानी 
ना मन मेरा ठहरा,
ना तुमने बात को रोका 
ना मैंने तुमको टोका,
ना तुम ठीक समय पर आयी 
ना मैंने हाथ को पकड़ा,
ना तुम चुप हो पायी 
ना मैंने किया कोई झगड़ा,
तुम चली गई, मैं चला गया 
तुम रुकी नहीं, मैं चला गया!

Friday 25 August 2023

खुशामद

खुशामद इतनी क्या करें 
की नाक में दम पड़ जाए,
सर इतना भी क्या झुकाएं 
की ऊँचाई कम पड़ जाए,

ना चुप इतना भी रहें 
की आंखें भी नम पड़ जाए,
निरीह ना हो इतना की 
पशुओं को रहम पड़ जाए,

सितमगर के इम्तेहान को 
मुस्कुराकर भी निभाया जाए,
कहीं उनको अपनी खुदाई का 
ना भरम पड़ जाए,

उनको सुनने की तमन्ना तो 
नागवार हो रही है,
फोन इतना भी क्या करें 
वो सहम पड़ जाए,

अब नहीं समझौते की 
गुंजाईश लग रही है,
क्यूँ न महीने दो महीने की 
अनबन पड़ जाए,

आओ नाम लिख लें 
दुश्मनों का दिलों पर,
ना जाने किस मोड़ पर 
वो सनम बन जायें,

हसरतें कहाँ
पूरी होती हैं किसी की,
तुमसे मिलने को कम 
एक जन्म पड़ जाये,

और नसीबो से होते हैं
फरिश्तों से मुलाकात,
ना जाने किस पल 
अल्लाह का करम पड़ जाए!


Tuesday 22 August 2023

मेरे राम-तुम्हारे राम

मेरे राम, अच्छे राम 
तुम्हारे राम, सभी के राम,
खासम खास हैं मेरे राम 
आम के आम तुम्हारे राम,

मेरे राम से सबको काम 
राम तुम्हारे अयोध्या धाम,
मेरे राम भटक रहे हैं 
तुम्हारे राजा सबके राम,

अग्नि परीक्षा वाले राम
धनुष तोड़ने वाले राम,
त्याग-तपस्या वाले राम 
बाली मारने वाले राम,
अंधे राम, काणे राम
हर जाति के अपने राम,

घर के राम, बगल के राम 
सोते राम, जागे राम,
आते राम, जाते राम 
खाते राम, नहाते राम,
खड़े राम, बैठे राम 
ध्यान-मग्न और लेटे राम!

प्रेम के राम, रंज के राम 
झूठ के राम, सत्य के राम,
आज के राम, कल के राम 
नाथूराम और 'हे राम'
सिया के राम, जय श्री राम,
दिनकर और  शरण के राम,
मुन्शी प्रेम चंद के राम,
हरिशंकर और अशोक के राम,
मिथिला और मथुरा के राम 
वृंदावन, मंथरा के राम,
कौशल्या-दशरथ के राम
कैकयी और भरत के राम,
सुमित्रा, उर्मिला- लक्ष्मण के राम,
मीरा और तुलसी के राम 
सुर और कबीर के राम,
जितनी वाणी उतने राम!

बंगाल और द्रविड़ के राम 
झारखंड, छत्तीसगढ़ के राम,
लद्दाख- धारवाड़ के राम 
कर्नाटक और तमिल के रमन,
बनारस और उज्जैन के राम,
गाँव के राम, शहर के राम 
देहात और लंदन के राम,
चीन के राम, मंगोल के राम 
यूपी और बिहार के राम,
पर्वत और विरान के राम,
हाथ के राम पैर के राम 
कंकर और ब्रह्मांड के राम,
जितनी जगह उसी मे राम!

Sunday 20 August 2023

करार

ये जो दिल का करार है 
क्यूँ रह गया तुम्हारे पास है,
ना तुक है, ना सवाल है 
ना तरीके मिलते हैं 
ना इज़हार है,

सोचते भी हैं तो 
उसमे भी तकरार है,
जीवन मे कोई 
तलब तो नहीं,
तुमसे मिलने की कोई 
वजह तो नहीं,
फिर आरजू मे क्यूँ 
एक आवाज़ भर दरकार है?

क्यूँ खुशी है तुम्हारे 
चर्चों की गूँज से,
क्यूँ गलतियाँ तुम्हारी 
दिखती ना पास से,
छुप जाती हर कमी 
मुस्कान के नूर से,
तुमसे दूर जाने की 
मुझे कैसी तलाश है?


Saturday 19 August 2023

तुम्हें छोड़कर

तुम्हें छोड़कर कहाँ आऊँ 
तुम साथ चलती हो,
तुम्हें भूलकर कहाँ जाऊँ 
तुम सोच बनती हो,

तुमसे बहाने क्या करूँ 
तुम सब जानती हो,
तुमको हिदायत क्या लिखूँ 
तुम नब्ज पकड़ती हो,

तुमसे उम्मीदें क्या करूँ 
तुम फ़रियाद आखिरी हो,
तुमसे पैरवी क्या करूँ 
मेरे काम करती हो,

तुमको समय क्या दूँ 
तुम ही तो घड़ी हो,
तुमको तुम भी क्या कहूँ 
तुम मुझमे बसी हो!

चाहत

जो है बेधड़क 
जो है बेपरवाह,
जिसकी है बिना सर 
बिना पैर की बात,

जिसको क्लास मे
लुडो खेलना है पसंद,
जिसको ढूँढ़ना रहता 
हर बात पर आनंद,

जिसको दिन मे आती नींद 
रात भर हो जागना,
जिसको हर एक बहस 
लड़कर जीतना,
योग भी है जिसके 
लिए एक बकवास 
जिसको बोतल से पीने वाले 
लगते हैं खास,

जिसको बीमारी मे 
तलब की ज्यादा चिंता है,
दवा मंगाने मे जिसको 
बहुत ही खर्चा है,
गिफ्ट मांगने मे 
जिसको नहीं कोई हिचक,
हर बात में है 
छुपा कोई सबक,

जिसकी हर अदा 
मुझसे बड़ी जुदा,
दिल क्यूँ उसे 
इस बार ढूंढता,
क्यूँ किसी ऐसे को चाहता!

Friday 18 August 2023

uncomfortable

उनपर मेरा कविता लिखना 
उनको नहीं पसंद,
उनपर मेरा कुछ भी कहना 
उनको नहीं पसंद,

उनकी कोई चर्चा करना 
उनको नहीं पसंद,
उनको मेरा देख मुस्काना 
उनको नहीं पसंद,

नहीं पसंद उनको की कोई 
बातें हों मदहोशी की,
नहीं पसंद उनको की कोई 
करे इशारे कोई भी,

उनको भाता नहीं की 
उनकी तारीफें भी खुलकर हों,
वो संवर के राहों पर निकलें 
पर किसी की नजर उन्हीं पर हो,

उनकों नहीं पसंद की 
महफ़िल लूट ले कोई बातों से,
उनको नहीं पसंद की दोस्त भी 
चुटकी लें जज़्बातों पे!

Thursday 17 August 2023

मैडम

मैडम मेरी क्यूँ उदास हैं?

चखना है प्लेट मे
व्हिस्की गिलास मे?
भाई बैठा बगल मे
दोस्त आसपास हैं!

अंधेरा भी है फैला 
गाना बज रहा तेज,
सभी की बुद्धि 
हुयी है आउट ऑफ फेज,
नाचने का माहौल है 
दिन भी तो खास है!

मैडम मेरी क्यूँ उदास हैं?

चिमनी जैसा धुआं निकाले 
और मिसाइल बातें,
उल्टा-पुल्टा होकर लुढ़के
जागे सारी रातें,
ये माया की नगरी मे
बची कौन-सी प्यास है?

मैडम मेरी क्यूँ उदास हैं?



ज़माना

तुम बात करोगे मेरी तो 
इस बार ज़माना क्या कहेगा?
मेरी बातों को 
मानोगे एक बार में 
तो ज़माना क्या मानेगा?
अगर देखोगे मुझे एकटक
तो ज़माना क्या देखेगा?

ज़माने के साथ नहीं बदलोगे 
तो ज़माना क्या कहेगा?

मुक्ति

इन्तेज़ार है कब
मंथरा कोई आए,
मेरा तिलक मिटाकर 
भगवा रंग ओढ़ा दे,

कभी गोकुल मे कोई 
मेरे जन्म का भेद बताये,
राधा छोड़ पग मेरे 
मथुरा को बढ़ जाए,

कभी अर्जुन को ललकारूं 
कोई जाति मेरी पूछे,
मै सर नीचे कर सोचूँ 
और दुर्योधन गले लगा ले,

कोई कंथक मेरे घोड़े 
पुर मे खींच ले जाए,
मरीज, मृतक वृद्ध
मेरे राहों मे आ जाए,

कोई राहुल जन्म ले आए 
मैं अंतहपुर मे रोऊँ,
छोड़ यशोधरा घर मे 
मै स्वयं ढूंढ़ने जाऊँ,

कोई जन न शेष हो रण मे
मै जीत देखने जाऊँ,
रक्तरंजित देख कलिंग 
मैं तलवार छोड़ पछताऊं,

नाम हज़ार ले राम के
मैं काशी पैदल आऊं,
शिव खड़े मिलें रस्ते मे
मै डोम समझ के हटाऊं,

बहुत ज्ञान अर्जित कर
मै कबीरा से भिड़ जाऊं,
बिना बहस जीते ही
मैं कागज उल्टा पाऊं,

मै चिढ़ा हुआ मीरा से
मय प्याला उसे बढ़ाऊं,
वो पीकर रख दे अमृत
मै सोच पे अंकुश लाऊं,

मै अपने मुल्क के भीतर
साहिबजादों को बुलवाऊं,
उन्हें तोड़ते-तोड़ते 
मैं स्वयं को टूटा पाऊं!

मुझे बेऔलाद बुलाएं
आकर कोई फिरंगी,
मैं तलवार उठाकर 
घोड़े पर चढ़ जाऊं!


गांधी भगत 

दुआ

तुमसे मिली दुआ 
कर गई असर,
तुमसे बिखर गई थी 
तुमसे मिली नज़र,

तुमने बढ़ायी हिम्मत 
तुमने सिखाई चाल 
तुमने ही पूछ लिया 
बढ़कर हमारा हाल,

तुमसे शुरू हुयी थी 
तुमसे हुयी खत्म,
मेरे लिए वो गुस्सा 
तुमसे बना रहम!

Monday 14 August 2023

बेवड़ी

तुम्हें नाराज कर देना 
तुम्हें फिर से मना लेना,
तुम्हारे आँख के तेवर को 
पलकों पर सजा लेना,
बड़ा ही गुदगुदाता है 
तुम्हारा पल-पल बिफर जाना,

तुम्हारा सोचना खुद का 
दुनिया को गलत पाना,
अपनी रूप देखकर 
आईने से झगड़ जाना,
बड़ा मासूम लगता 
संवारना और बिखर जाना,

तुम्हारा सिगरेट बहुत पीना 
दारु को गणक लेना,
धुएँ मे बहुत उड़ना 
किसी कोने मे सो जाना,
नाली मे पड़े रहना 
नकली होश मे दिखना,
नशे मे खूब बतियाना 
नाचना और गिर जाना,
मुँह चाट ले कुत्ता तो 
उसके भी गले लगना,

नेतरहाट जाने को 
रात भर प्लान बनाना,
सूरज उगने पर सोना 
अंधेरों मे ही फिर उठना,
Bottoms-up लगा लेना 
पिज्जा रात मंगवाना,
फ़िल्में देखकर रोना
हीरो को विलेन कहना,

बिना कंबल उलट जाना 
ठंड मे कंपकंपी आना,
कंधों पर उठा तुमको 
तुम्हारे रूम पहुंचाना,
सुबह एयरपोर्ट जाने को 
बड़ी ही देर से उठना, 
बेवड़ी की समझ लेकर 
नहाये बिन सेन्ट लगाना,

मुझे अच्छा बड़ा लगता 
मधुशाला का नशा करना!

Friday 11 August 2023

राँची

आज राँची मे सूरज 
फिर निकला होगा,
आज फिर हवायें 
सुबह आयी होंगी,
आज बारिश और धूप 
साथ हुयी होगी,
सब हुआ होगा 
जो रोज होता है,
बस हम नहीं होंगे,
तुम नहीं होगी!

याद

किसकी याद आती है?
राँची की जब आती है 

बाज़ार की, रस्ते की 
छत की, मुहाने की,
मौसम की, मिजाज़ की 
दोस्तों की, टीचरों की 
मेस की, TT की,
साइकिल की, अखबार की,
पेड़ों की, पक्षियों की,
शोर की, कोलाहल की,
घूमने की, आने-जाने की,
भुट्टे की, नारियल पानी की 
घेवर की, तेवर की 
मधुशाला की, रात की 
हवाओं की, सुबहों की 
ठंड की, बहारों की,
बादलों की, आसमान की 
उसमे छुपती-निकलती 
सूरज के किरण की?

Wednesday 9 August 2023

मुसीबत

हमसे ना मिलें मिलने वाले 
तो कोई बात नहीं,
पर उनसे मिल रहे हैं 
तो मुसीबत है!

मुझे देखकर न मुस्कुराए 
तो कोई बात नहीं, 
उनसे खुल के हंस रहें हैं 
तो मुसीबत है!

हमारा जवाब नहीं दे
तो कोई बात नहीं, 
उनकी नजर पढ़ रहे हैं 
तो मुसीबत है!

हमसे बैग भी उठबाये 
तो कोई बात नहीं,
उनका स्वैग उठा रहे हैं 
तो मुसीबत है!

हमारी बगल मे ना बैठे 
तो कोई बात नहीं,
उन्हें पलकों पर बैठाएं 
तो मुसीबत है!

नजर से गिरा दिया
तो कोई बात नहीं,
नजर ही ना आयें 
तो मुसीबत है!

कत्ल करने निकले हैं 
तो कोई बात नहीं,
पर जला के मारेंगे
तो मुसीबत है!

मर्ज न मिले
तो कोई बात नहीं,
मरहम ना मिले 
तो मुसीबत है!

काफ़िरों से दिल लगाए 
तो कोई बात नहीं,
काबिलों से मिल भी लें 
तो मुसीबत है!

फोन न उठाएँ 
तो कोई बात नहीं,
फोन बिजी आ रहा है 
तो मुसीबत है!

सोचते हैं शायरी सुनकर 
तो कोई बात नहीं,
पर हँसी आ रही है 
तो मुसीबत है!

हमारा गुमान तोड़ दे 
तो कोई बात नहीं, 
उनको इनाम दे रहे 
तो मुसीबत है!

इस तस्वीर मे तुम्हारी 
कोई और नहीं दिखा,
कोई और बोल दे 
तो मुसीबत है!

दोस्त कहें रावन 
तो कोई बात नहीं,
पर राम ना कहें 
तो मुसीबत है!

फिरनी से मुँह मीठा करें 
तो कोई बात नहीं!
फिरकी से कसे 
तो मुसीबत है!

वो छक्का भी मारें 
तो कोई बात नहीं,
पर एम्पायर आंख मारे 
तो मुसीबत है,

जीतने को खेलें 
तो कोई बात नहीं, 
जीतकर खेल दे 
तो मुसीबत है!

और बेईमानी करें 
तो कोई बात नहीं,
2 इंच से करें 
तो मुसीबत है!

रोहितास शतक मारे 
तो कोई बात नहीं,
सचिन रहे नाबाद 
तो मुसीबत है,

वो नजर चुराए
तो कोई बात नहीं,
वो नजर भी ना आए 
तो मुसीबत है!

महफ़िल मे सब सुनें 
तो कोई बात नहीं,
वो देख भी ले 
तो मुसीबत है!

वो साथ न बैठे हमारे 
तो कोई बात नहीं,
उनके साथ नाच लें 
तो मुसीबत है!

वो नाम भी लिख दें 
तो कोई बात नहीं;
हम क...क....क.. भी कहें 
तो मुसीबत है!

वो पेग भी बनाए 
तो कोई बात नहीं,
हम कुर्बानी कर रहें 
तो मुसीबत है,

वो मेमो इशू करें 
तो कोई बात नहीं,
हम रोष भी करें 
तो मुसीबत है!

वो क्लास मे सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम प्रश्न भी पूछ ले 
तो मुसीबत है!

वो रात भर पीए
तो कोई बात नहीं,
हम योग न आए 
तो मुसीबत है!

वो रूम से भगा दे 
तो कोई बात नहीं,
पर हाथ जोड़ लें 
तो मुसीबत है!

वो चुप करा दें 
तो कोई बात नहीं,
पर दो बात ना बोलें 
तो मुसीबत है!

वो दरवाजा न लगाए 
तो कोई बात नहीं,
पर पर्दा भी हटा दे 
तो मुसीबत है!

वो 10 पेग पीए
तो कोई बात नहीं,
हम दो शायरी लिख दे
तो मुसीबत है!

वो दोपहर तक सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम रात भर पढ़ें
तो मुसीबत है!

वो महल खड़ी करें 
तो कोई बात नहीं,
हम फीस भी भरें 
तो मुसीबत है!

वो ठाठ से सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम राह पर चले 
तो मुसीबत है!

भारत-दर्शन

देखा मैंने छोटा भारत 
इतिहास और भविष्य का सूरज

सचिन के जैसा कृष्ण जो 
जो हर काज कर सकता,
ज्ञान समेट कर रखता 
तर्क से बस लड़ सकता,
4 बजे तक पीने वाला 
योग क्लास कर सकता,

राहुल सरीखा चार्वाक 
जो खाना खाते मर सकता,
पीकर कर सकता उपद्रव 
कहकर, 9 पास कर सकता,
चौके खातिर 2 इंच जमीन की 
कीमत खूब समझता,

किरण के जैसी लक्ष्मीबाई 
दोनों हाथ से लड़ती,
धुआं छोड़ती मुँह से 
जले पर नमक रगड़ती,
अंग्रेजों से सीख तरीके 
उनपर भारी पड़ती,
प्रेम-उमंग की बातों पर 
चटखारे खूब लगाती,
अधिकारी से आंख मिलाकर 
उनको गलत बताती,

नवोदित जैसा बंगाल नवाब 
चोख चमक मे तेज,
बिस्तर धर के पड़े रहे 
जब घेर रहे अंग्रेज,
घूमें-फिरे पूरी राँची 
क्लास मे रहें अदृश्य,
जमीनदार के जैसा ठाठ
करके छोड़ देते हर चीज,
नाचे सबको गिरा-गिरा कर 
आईफोन का रखते शौक,
इनके सामने कौन ही बोले 
किसकी इतनी औकात,

नीरज जैसा शाहजहाँ 
जो हर देवी का ख्वाब,
ऐसा मंत्रमुग्ध कर देता 
जिसका नहीं जवाब,
नाचे-गाए ताल मिलाकर
प्यार का रखे हिसाब,
सारी सैलरी मधु मे लगाकर 
मोह लिया मुमताज़,
फ़िल्में रातभर देख रहा 
और सुबह न जाना क्लास 
सबको जेब मे रख लेना 
और ना डालना घास,

विशाल जैसा आज़ाद 
जो सबसे करता रहे मजाक,
आँख मे धूल झोंकना जाने 
बहरूपिये जैसी बात,
पढ़ता रहे फिल्म के समय 
रात मे खाए खाना,
बाबा साहब को लाए 
उस संस्थान में,
जहां पड़ता गोली खाना!

कविता जैसी जय-ललिता देखी 
जो झटपट देवे जवाब,
बात कोई जो थोड़ा बोले 
उसका रखे हिसाब,
देवी बनने मंदिर जाए 
सुबह करे वो योग,
नाचे सारे स्टेप्स याद रख 
स्वैग ही जबरदस्त,

नयन-सी जैसी रजिया सुल्तान 
जो वक्त से बहुत है आगे,
मधुशाला मे भी पीए नहीं 
चाहे रात भर भी जागे,
कविता पढ़ती, बातें करती 
एक से एक सतरंग,
नहीं सोचती ज़रा-ज़रा भी 
कोई कितना कर ले तंग,
चंदन विष व्यापत नहीं 
लिपटत रहे भुजंग,

सुधीर जैसा देखा तुकाराम 
जो भाव में डूबा रोये,
सबसे सरल, सबसे मिलन 
हंस के मैल मन धोए,
खेलने TT मनोयोग से
बात करे गंभीर,
नाम बताकर सबका अनोखा 
खींच दिया तस्वीर,

पल्लव दा-सा सुभाष चंद्र 
जो गीत-संगीत के ठाकुर,
शिव-तत्व का भोग लगाते 
प्रतियोगिता मे रणबाँकुर,
एक क्लास तो डेली करते 
कब आए कब गए,
जानने वाला सोचता रहे 
वो ज्ञान से कर दे व्याकुल,

संचित जैसा विश्वामित्र
जिनके ज्ञान से सब भयभीत,
अबॉर्शन बंद करा ही देते 
पर मेनका से न पाए जीत,
राम को शतरंज जीता के दिया 
ऐसा अद्भुत अस्त्र,
सिया अग्निपरीक्षा का 
Memo हो गया ध्वस्त,

रोहिताश जैसा पठान 
जो क्रिकेट की असली शान,
खेले वो और पीए खूब 
जान ना पाए सब क्यूँ परेशान?
क्लास से दूर, सत्ता से विमुख 
जियांका मैम का पक्का मित्र,
शांत और सरल, सड़क पर घूम
टिंडर पर मचा रखी है धूम!

अरुण भाई-सा देखा पुष्पा 
झुकेगा नहीं किसी से साला,
स्मार्ट और गंभीर बहुत 
ईश्वर के नजदीक बहुत,
पोप जॉन के बाद है पैगंबर 
वाट्सऐप स्टैटस के पैगंबर!

मधुशाला

जब भी मद की कमी पड़ेगी
जब सूखे होंगे मन के वृंद,
जब शाम ढलेगी मिले बिना 
जब बंद होंगे सारे अरविंद,
तब हाथ पकड़ कर चलने को फिर 
साथ रहेगी मधुशाला!

जब रात पहर मे पढ़ते-पढ़ते 
आने-जाने लगे नींद पर नींद,
जब नारियल पानी नहीं बिकेगा
वो गुस्से मे होंगे तंग-दिल,
जब मेमो मिलेगा अच्छे काम पर 
खोलेंगे रिश्तों के ज़िल्द,
तब अपने गले लगाकर
अपना लेगी मधुशाला!

जब t-shirt खोजने वालों पर 
इल्ज़ाम लगेगा चोरी का,
जब राम नाम के मधुकर का 
सामना हो सीना जोरी का,
जब पहनावो की तर्ज़ पर 
बाटें जाएंगे भले-बुरे,
जब चुप रहने वालों को दुनिया 
बोले कमज़ोरी के जन्मे,
तब जटा खोल, गंगा निकालकर 
धो देगी मैल, कर देगी तर
नहला देगी मधुशाला!

Monday 7 August 2023

मैडम

मुझको भी थोड़ा-सा 
आम कर दो 
मुझे मैडम न कहो, 
मेरा नाम कह दो!

इन चिमनियों के धुन्ध से 
कमरा ओझल है,
चिंगारियों की तलाश मे
आंखे बोझिल हैं,
कुछ मिजाज मेरा खास 
लोगों मे कहाँ है?
तुम आईने का मेरे 
इन्तेजाम कर दो!

मिट्टी के मलबे मे
मिट्टी ही तो है,
रूह को छुपाये
बंद मुट्ठी ही तो है,
ये आंखें नहीं सोयी हैं 
रात भर सब्र मे,
इन्हें सुबहों की रोशनी मे 
बेनकाब कर दो,

मेरी पानी की केतली 
आज गर्म करने दो,
मुझे मेरे गिलास आज 
खुद से धुलने दो,
मेरे खाने का मूड 
कुछ चटपटा-सा है,
आज रहने दो तस्तरी को 
अब आराम करने दो,

मुझे अपने हाथों से 
मेरा काम करने दो,
राम को जुबान पर 
कुछ विराम करने दो!

इम्तेहान

इश्क का हमारे 
इम्तेहान ले रही हैं,
वो हमसे पूछकर आज 
हमारी जान ले रहीं हैं,

ये अनार के सौदे 
एक बिमार से कर लिया,
वो दवा को मेरे आजकल 
कोई जाम कह रहीं हैं,

कभी देखती नहीं 
मेरी ओर मुड़कर,
वो अब हँसते हुए 
मेरा नाम कह रहीं हैं,

शिकायत मेरी 
खुदा से करेंगी,
वो आज डर का मेरे 
इत्मीनान कर रहीं हैं!





Wednesday 2 August 2023

तकरार

मै तुमको और लुभाने को 
तकरार नहीं कर सकता,
मै अपने भाइयों से 
यलगार नहीं कर सकता,

और आवाज को तेज करूँ 
मै किसी तथ्य को आज रखूं,
मै अपना प्रेम जमाने को 
कोई रार नहीं कर सकता,

आज रहे मुस्काते चेहरे 
नहीं कोई मुह नीचे लटके,
मै खुशी का मोल चुकाने को 
तलवार नहीं धर सकता,
मै राम का नाम सुनाने को 
शिव द्रोह नहीं कर सकता!

Tuesday 1 August 2023

दाव

आज हूँ मै दाव पर 
उनके सस्ते भाव पर,
उनकी लगी है शर्त 
उनके ही बयान पर,

आजमाना है मुझे 
उनको दिखाना है मुझे,
सबको यही जताना है 
यह दिल उनका दीवाना है,

उनको लगा कुछ और है 
मेरी समझ सब गौड़ है,
दाग है ईमान पर 
जो लुटा है एक मुस्कान पर!

रवि शंकर

रविशंकर की है बुद्धि कम 
रविशंकर मे नहीं है दम,
रविशंकर हो गया फेल 
रविशंकर सबसे बेमेल,

रविशंकर सबसे घृणा करे 
सबसे रविशंकर लड़ा करे,
रविशंकर को सब छोड़ गए 
रविशंकर का मुह तोड़ गए,

रविशंकर मुसलमान है 
रविशंकर पाकिस्तान का है,
रविशंकर एक ईसाई है 
उसका घर इस्राइल है,

रविशंकर काला नाग है 
रविशंकर खाली झाग है,
रविशंकर को सब pinch करो 
उसको को मिलकर lynch करो,

रविशंकर अभी अकेला है 
रविशंकर का कौन सहारा है,
रविशंकर मुझसे क्या लड़ पाएगा 
रविशंकर अब एक बेचारा है,

रविशंकर तो सुधर गए 
हम रविशंकर ही हो गए,
जग में रविशंकर एक ही थे 
अब रविशंकर कई हो गए,
रवि शंकर हमारा दर्पण है 
हम सबमे एक रवि शंकर है!

नवरात्र

भावनाओं की कलश  हँसी की श्रोत, अहम को घोल लेती  तुम शीतल जल, तुम रंगहीन निष्पाप  मेरी घुला विचार, मेरे सपनों के चित्रपट  तुमसे बनते नीलकंठ, ...