स्वान–मंच पर
हो रही थी
आज स्वान चर्चा,
एक बोला "भौं!"
दूसरा बोला "भौं!,भौं!"
तीसरा खड़ा था
चुप था,
कुछ विचार कर रहा था शायद
वो पहले स्वान की पूछ
पकड़ कर चबाया,
उसका ध्यान खींचने
के लिए शायद,
पहले ने पीछे पलट के
बोला "भौं! भौं–भौं?"
क्या हुआ?
"भाऊ!" कुछ नहीं!
पहले ने पूछा–"भाऊ !!!,
भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं?
भौं–भौं–भौं–भौं–भौं,
भौं–भौं–भौं–भौं?
अब तीसरा वाला गुर्राया,
दोनों आंखों को पास लाया
और दाहिने दांतों के
मसूड़ों को ऊपर उठाकर
तेज–तेज हवा निकालने लगा
मुंह के एक तरफ से
मूंछें खड़ी और तैनात
नाक पर पसीना,
उसने बोला "भौं !"
कुछ रुककर फिर बोला–”भौं!"
कुछ छोटे पिल्ले पीछे से
एक साथ बोले "भाऊ! भाऊ! भाऊ!"
तभी एक वयस्क स्वान ने
काट लिया एक बूढ़े स्वान को
कुत्ता समझकर,
कटा हुआ मांस लटक गया।
सारे स्वान एक साथ चिल्ला उठे,
फिर समझकर दहाड़
अपनी ही आवाज़ को,
शेर से भयंकर
और संसार समझकर
अपने ही मांद को,
सब एक साथ बोल उठे–
"भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं,
भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं,
भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं,
भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं,
भौं, भौं–भौं–भौं, भौं–भौं,
भौं !
भौं !
भौं !
भौं !
भौं !
भौं !"