वक्त और समाज के
हिसाब से हिजाब?
क्या लगाता है
महफिलों में इत्र और फुरेरी
क्या दरगाह पर चढ़ाता है
चुनर लाल रंग की?
क्या हलाल और झटका मे
अंतर कर पाता है
इस्लाम हिंदुस्तान मे?
क्या खलीफा की करके
मुखालफ़त,
खिलाफ़त आंदोलन
करता है इस्लाम
आवाम के साथ?
अनुग्रहवादी बनकर
अंग्रेजों के खिलाफ,
‘बापू’ के साथ?
और फिर जुड़ जाता है
‘बिस्मिल’ बनकर
राम के साथ?
उर्दू मे लिखता है
हिंदुस्तानी इस्लाम
‘उपन्यास–सम्राट’ की कलम से?
या रुलाता है हंसाता है
‘दिलीप कुमार’ नाम बदल के?
क्या हिंदुस्तानी इस्लाम मस्जिदों मे
औरतों पर पहरा लगाता,
क्या वह तीन–तलाक की
बहाली पर नारा लगाता है,
संसद मे चिल्लाता है?
क्या हिंदुस्तानी इस्लाम
हिंदू भूतों को जानता है,
झाड़–फूंक करके भगाता है?
ताबीज देता है, डर भगाता है?
क्या कव्वाली मे
राम सजाता है,
रामचरित मानस
उर्दू में लिख जाता है
हनुमान चालिसा
गाता है?
और यही इस्लाम
अफगानिस्तान मे बंदूक चलाता है?
क्या इस्लाम है
जो वक्त और जगह देखकर
बदल जाता है
या इंसान है?
कौन ओढ़े है किसको?
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