Wednesday 15 May 2024

सुबह की धूल

यह धूल नहीं है 
भूल सुबह की,
यह राम-रज कण
है कुम्हली-सी,

चादर की एक 
परत पड़ी-सी,
जिसके बाहर
धुप खिली-सी,

यह धूल उड़ी-सी
कुछ राह चली-सी,
पगडंडी इक 
बनी हुई-सी,

नही ऑंख पर
परत पड़ी-सी,
यह आने वाली 
कली खिली-सी!


Saturday 11 May 2024

छवि

बड़े से मनुष्य
बड़ा सा विचार,
बड़ा सा प्रभाव 
बड़ा हुआ प्रणाम,

वृत्त-सी पहचान
बिंदु-बिंदु मिलान,
हँसी और मुस्कान 
कर-बंध निवेदन,

आती-जाती एक छवि
लुका-छुपी शशि-रवि!

खेल

खेलते हैं खेल 
हम देखते हैं खेल,
खेल में बदल गया 
खेलने का खेल,

खेल का प्रकार 
खेल की दरकार,
खेल में रमन हुआ 
खेल से उद्धार,

खेल से संन्यास 
खेल में प्रवास,
खेल से ही चेतना 
खेल से विन्यास,

खेल ही जीवन 
खेल समाधान!

Thursday 2 May 2024

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा 
हम धरे एक पगडंडी,
तुम्हारे कदम सजे से 
हम बढ़े कूदते ठौर,

तुमने थामी हवा की टहनियां 
हम बैठे डिब्बे में संग,
तुम संगीत सुनाते 
हम खेलते होली संग,

तुम्हारी मेरी अलग राह 
तुम मेरी अलग चाह!

सुबह की धूल

यह धूल नहीं है  भूल सुबह की, यह राम-रज कण है कुम्हली-सी, चादर की एक  परत पड़ी-सी, जिसके बाहर धुप खिली-सी, यह धूल उड़ी-सी कुछ राह चली-सी, पगड...