Thursday, 2 May 2024

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा 
हम धरे एक पगडंडी,
तुम्हारे कदम सजे से 
हम बढ़े कूदते ठौर,

तुमने थामी हवा की टहनियां 
हम बैठे डिब्बे में संग,
तुम संगीत सुनाते 
हम खेलते होली संग,

तुम्हारी मेरी अलग राह 
तुम मेरी अलग चाह!

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