बार-बार बात,
दूर देश से तार
दूर देश का घर,
कुछ समय और
कुछ क्षेत्र
कुछ करतार और
कुछ मित्र,
कोई बना हुआ
कोई कोशिश में,
कोई कुम्भ हो रहा
वर्षों में,
बहुत सारे प्रयास
बहुत नहीं स्वीकार,
यह ज़माने की पुकार
यह जीवन का मंझधार,
हाथ मिला
और गले मिले,
यह ख़लल हुआ
जो यहाँ मिले!
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