Sunday 26 May 2019

मैं

तुम्हे मुझ पर विश्वास नहीं
किंचित यह एहसास नहीं
मैं भी सत्य की साधक हूँ
सत्य की ही मैं प्रचारक हूँ

मैं हूं बोलती सत्य वचन
सत्य ही मेरे कर्म और मन
मैं भी सत्य जानती हूँ
कुछ कम है पर, मानती हूँ
पर सत्य को माथे धरती हूँ
उस पर मुखर हो लड़की हूँ।

जो सत्य ने मेरा जान सके
मेरी बात पर ना विश्वास रखे,
उस पर हो जाती वाणी प्रखर
आंखें चौड़ी और रक्त प्रबल,
गहरी सांसें और फैले विवर
रोष-विकार भौहें-अतल।

क्षमा क्षमा सर्वज्ञ-सबल
विश्वास न मांगे सत्या है,
बसता मैं मे कब ब्रह्म भला
मैं का तो मूल ही मिथ्या है।

द़ाग

तुम्हारे-मेरे मिलने पर
कुछ दाग लग गए हैं,

तुम्हारे कपड़े पर
आइसक्रीम के दाग
जो छीन कर खाए थे मुझसे।

अखबार पर खाने के दाग
जो खाना गिरने से बचाने
तुमने नीचे बिछाए थे।

दीवारों पर बिंदियों के दाग
जो तुमने सजते हुए
माथे से हटाये थे।

आस्तिन पर आंसुओं के दाग
जो तुमने जाते समय
पोछते हुए छुपाए थे।

हथेली पर स्याही के दाग
जो तुमने गुदगुदी करते समय
जबरन ख़चाये थे।

मेरे ख्वाबों में ख्वाहिशों के दाग
जो मैंने तुम को बाहों में भर के
बेखुदी कर लगाए थे।

कुछ दाग रहने दो
मेरे घर के कोनों मे
जो याद दिलायें वो लम्हे
जो मैंने तुम्हारे संग बिताए थे।

Tuesday 21 May 2019

Modi-Ravish

दो सपूत भारत माता के
दोनो चतुर प्रवीण
एक पंतप्रधान विशेष
एक पत्रकार प्राचीन

एक चूस कर खाए आम
एक गुठली से उगाए झाड़
एक non-political बात बनाए
एक फिर उसको ढोंग बताए

एक शांत गंभीर हंसमुख
एक चिल्लाए भरसक उन्मुख
 एक डरे बातें करने से
एक चले सबके कहने से

एक सोचें वह गाली देगा
एक बोले वह कह कर लेगा
एक करे राडार उपहास
एक दुहराए विकास की बात

एक खुशियों में दर्द भुलाए
एक दर्द को माथे लगाए
एक को गंगा घाट है गंदा
एक को पूरा बनारस अच्छा

एक सोचे क्यों 'मन की बात'
एक सोचे क्यों शोर अकाज
एक को द्वेष भरा चेहरे पर
एक नाम भी ना ले कहने पर

एक बच्चों को गले लगाए
एक बच्चों का दर्द बताए
एक मुस्लिम का डर समझाए
एक हिंदुत्व का परचम लहराए

एक विकास की बात करे
एक चुप्पी पर प्रश्न करे
एक गिनाए  शौच-मकान
एक पूछे क्यों नोटबंदी-अखलाख

एक सुन गाली बउराए
गाली को उस पर मढ़ गुर्राए
एक गाली सुनकर भी मुस्काए
आगे आगे बढ़ता जाए

दोनों चाहे भारत माता
दोनों 'मैं' से लड़ ना पाए
दिल चाहे दोनों मिल जाए
मिलजुलकर सरकार चलाएं

दोनों मिले, बात हो जाए
हंस मिल दोनों हृदय जुड़ाएं

कबहु मिलाए राम गुसाईं
दोनों राम-भरत सम भाई
कृपा करें देही आशीष
घुल-मिल जाए मोदी-रवीश

Friday 17 May 2019

झूठ

(ग़ुस्से में)
बातें झूठ !
वादे-इरादे
प्यार-प्रेमाचार
चिढ़ना-चिढ़ाना
ब्रह्म, गीता, कविता
रोज़ाना के calls
बहस, बवाल

 सारे झूठ !

व्यथा झूठ,
तड़पना, छटपटाना,
हँसाना, पटाना
बातों मे लड़खड़ाना
सहेली से बतियाना
डर जाना, घबराना
empathy, sympathy
चेहरा दिखाना
आवाज़ सुनना
रात भर जगना
साथ मे सोना
गांधी, माता

सारा झूठ !

(ठंड )
दीदी से आज
लड़ायी हुई है,
तुमपर झुँझलाना
ग़ुस्सा दिखाना
तुमको परखना
झूठ बताना

मेरा सच !

(मुस्कुराकर)

अच्छा चलो
मैंने माना,
तुम्हारा रोना
मेरा हँसना

हमारा सच !

प्रीती

e-mail तुम्हारे नाम का
Gmail पर search किया
तुम्हारे आवाज़ का voicemail
archieve मे ढूँढ लिया

बहुत कुछ नहीं था, ख़ामोशी थी
background noise मे,
तुम कुछ unclear बोली थी,

यूँ तो तुम्हारी बातें
कभी घण्टों तक सुनी
पर ध्यान कभी नहीं रही

पर आज तुम्हारी
आवाज़ ही सुनकर,
मैं ख़ुद का ध्यान रख पाता हूँ।

और तुम कहती थी
"आवाज़ नहीं पहुँच रही,
शायद, network problem है !"








Thursday 16 May 2019

Feelings

बातें लगे झूठ, emotions बेमानी,
care करना मेरा, मतलब की ज़ुबानी।

मैंने बेची सस्ती ख़ुशियाँ,
ऐसा मुझको नहीं लगे,
सिसकना, डरना, रोना फिर से
आँसू से क़ीमत अदा करो।

चाँद, जान और kidney देकर
जाने कितनों ने चाहा है,
सच और सपने घुल-मिल जाए
ऐसी यादें दिया करो।

मेरे होंठों-गालों को
गुल और शबनम कहते हो
इनको चख कर बिना नमक के
जामुन-तुलसी-रस पिया करो।

मेरे ग़ुस्से-अइठन को
cute सी हरकत कहते हो,
मेरे yes, नो, may be को
झूठी उलझन कहते हो

इनको थोड़ा तेवर देकर,
पानी पीकर, हरा करो
फिर चुप रहकर, guilt feel कराकर
आड़े हाँथों लिया करो।

Feel नहीं आती है मुझको
इज़हार-ए-मुहब्बत नया करो।

नवरात्र

भावनाओं की कलश  हँसी की श्रोत, अहम को घोल लेती  तुम शीतल जल, तुम रंगहीन निष्पाप  मेरी घुला विचार, मेरे सपनों के चित्रपट  तुमसे बनते नीलकंठ, ...