हँसी की श्रोत,
अहम को घोल लेती
तुम शीतल जल,
तुम रंगहीन निष्पाप
मेरी घुला विचार,
मेरे सपनों के चित्रपट
तुमसे बनते नीलकंठ,
अलग करती अनुराग
जो सर्व-सुलभ अनुराग,
तुम्हारी बातों की शुरुआत
मेरे लिए ही राम!
भावनाओं की कलश हँसी की श्रोत, अहम को घोल लेती तुम शीतल जल, तुम रंगहीन निष्पाप मेरी घुला विचार, मेरे सपनों के चित्रपट तुमसे बनते नीलकंठ, ...