उनका कहकर swag,
वह जब बातें करते
तुम तब करती observe,
तुम अपनी बातों से
लेती mental swab,
वो क्या कहते, क्या सुनते,
और क्या सोचते
तुम परखती,
सबको ही करती judge
बिना जाने पूरा सच,
बनाती negative या
फिर positive
तुम घुस के अपनी lab.
Report तुम देती
प्रियांका दी को जाकर,
सारे लक्षण सक्षर
प्रियांका दी को समझाकर,
गुस्से मे लाल होकर
तुम बताती फिर व्यवहार।
और इलाज मे करती
emotional अत्याचार,
रोगी ही न जाने
diagnose कब हुआ था?
दवा कब चली थी?
इलाज कब हुआ था?
वह बैठा guilt मे
अपना धीरज खोता,
राम जाने कौन फिर
भला negative होता
कौन positive होता?
कौन पास करता,
कौन फेल होता
ये रोना test?