Friday 28 July 2023

बड़े साहब

वो सीढ़ियों के पास खड़े
बातें लोगों को बता रहे थे,
यकायक बीच-बीच मे
अपनी आवाज़ वो बढ़ा रहे थे,

भौंहे तनी, आँखें चौड़ी 
हाथों को बरबस 
हिला रहे थे,
चहलकदमी करके वो 
इधर का उधर 
कुछ बता रहे थे,

आस-पास सब 
लोग जमा थे,
काम छोड़कर 
हुए मना थे,
साहब जी के 
मूड मुताबिक 
नाक और मुँह 
बना रहे थे,

कुछ ने कहा की 
बात सही है 
आज व्यवस्था 
मरी पड़ी है,
कुछ ने कहा 
ज्यादा हो गया,
रात की अब तक 
नहीं उतरी है,
कुछ ने कहा की 
कुछ गड़बड़ी है 
मैडम मायके से 
वापस आयी है,
अनिल बहुत ही 
सोच के बोला,
'सर सिगरेट से 
अच्छी बीड़ी है',

कोई बोला 
मुसलामान है,
कोई बोला 
बिन पगड़ी है,
कोई बोला 
टिकट कटा है,
किसी को लगा की 
आज फटा है,
किसी ने मेडिकल हिस्ट्री देखी 
'दुग्गल साहब' के जैसी सेखी
इंच-टेप से नपा हुआ है 
साहब मेरा bipolar है,

तब ही कोई और जोर चिल्लाया 
सारा मजमा उधर घुमाया,
साहब सरल विनीत मुस्काये 
हाथ जोड़कर आगे आए,
साहब के रोग दुरुस्त 
साहब हो गए एकदम चुस्त 
साहब ऐसे सकुचाये हैं 
लगता है 'बड़े साहब' आए हैं!

Theory of relativity

एक पेग मे
कुर्सी घूमी,
दूसरे पेग मे
कमरा घूमा,
तीसरे पेग मे
फर्श घूम गया,
चौथे पेग मे
लोग घूम गए,

पांचवें पेग मे
दुनियाँ घूमी,
WhatsApp ग्रुप
मे मैसेज घूमे,
मैडम आज 
आयी मधुशाला,
उनके कारण 
सिस्टम घूमा!

जाकि रही भावना जैसी

देखा मुझको 
क्रीड़ा करते,
देखा सर को 
मजे लेते,
आज ही 
छूने वाले को,
कह दिया 
कामी कहते-कहते,

मेरे प्रेम-भाव 
को परखा,
पशुवत-भाव मे
आज तौल के,
आज क्षणिक 
भावों मे बहके 
देखा उसने 
जग उल्टा करके!


Thursday 27 July 2023

मणिपुर

वो भी हो गया 
जो लगती थी 
बीते कल की बात?

आज नए समाज 
के साजो-सामान,
उठाकर कैमरा 
और हथियार,
ले चले आबरू को 
बीच बाज़ार,

भीड़ के चेहरे 
बहुत हज़ार,
पर बदले की आग 
चढ़ परवान,
आज करते 
वस्त्र-हीन 
खुला व्यवहार 
भारत माँ के 
चीर फाड़,
संदेश देखता 
संपूर्ण संसार,

द्रौपदी का चीर 
पूरे उतार
करता दुर्योधन 
यह ललकार,
जीतने की 
वस्तु हो या नहीं 
पर न्याय का 
सबको है अधिकार,
अपनी लूटी हुई 
इज्ज़त का 
चीर खोलकर 
करता निस्तार,

मोहन के चरखे 
मे आएगी 
अब कैसे 
सूतों की धार,
जो सत्याग्रह
राह से बुनकर,
बढ़ा सके नारी सम्मान,
बचा सके इज़्ज़त और मान
नारी ही को 
बनना होगा,
आज अपना ही पालन-हार !

Wednesday 26 July 2023

रुबरु

रुबरु हैं आज 
उनके सामने हम,
अब है अगन
हर्षित है मन 
हर टूटते बंधन,

घर के घेवर
तीखे तेवर,
रुकी हुई मुस्कान,
आज सुनने 
और सुनाने 
को बहुत से बैन,
आज चमकीले से जुगनू 
फिर वही दो नैन,
आज सूरज डूबा मगर 
फिर भी हुयी ना रैन,

आज छाया है उजाला 
आज सावन का नज़ारा,
आज बैरागी हवा 
आज राँची का किनारा,
सब हुए हैं मौन,
 संग आवेग और उल्लास 
आज गौरी से मिले हैं 
महादेव कर उपवास! 

Monday 24 July 2023

वजह

उजालों का सहर नहीं 
उम्मीद की एक किरण तो हो,
हम सितारें तोड़ लाए आसमान से 
पर उसकी कोई वजह तो हो,

सरफरोशी के लिए
हम तो हैं हाज़िर मगर,
इस ज़माने मे आजकल 
इश्क करना गुनाह तो हो,

चुप रहे हम मुस्कुरा कर 
उनके शान और शोख मे,
पर हमारी ख़ामोशी की 
उनको भी परवाह तो हो,

हैं नहीं मेरे शहर मे
आज थोड़े दूर हैं,
पार कर दे बंदिशों को 
पर कोई शरहद तो हो,

हम ख़ुदा से भी मांग ले 
उनको अपने वास्ते,
उनको मेरा छोड़ पहले 
और कोई मज़हब तो हो!




Friday 21 July 2023

धूप

तुम खिली हुई सुबह की धूप 
ओश की बूँदों को
घास के तिनकों वाले 
जुल्फों पर उड़ेलती
और टपकाती,
ठंडी हवा के रेशों की 
उँगलियों से संवारती,
खुद को हल्की गर्म 
थोड़ी नर्म सुनहरे 
उजाले-सी फैलाती,

सरोवर के आईने मे
सूरत निहारती,
और हया मे लाल 
हो बिखर जाती,
क्षितिज के गालों पर 
रंग जाती,
फ़ूलों की पंखुड़ियों
की चादर मे 
कुछ पल सिमट जाती,

धीरे-धीरे ओर को 
पलट कर ताकती,
सिलवटें रेशमी 
बिछावन की खोलती,
आँखें सीपियों मे
मोतियों सरीखी
शरारत मे चमकती,
 
कुंजन करती 
कोयल की-सी
आह्लाद को 
करती कल्लोल,
कलरव से इठलाती,

नदियों पर 
बन मुस्कान तैरती,
कल-कल कलाईयाँ खाती,
सूइश संग गुलाटीयाँ लगाती,
चिड़ियों के संग उड़ जाती 
अम्बर तक छा जाती!

Thursday 20 July 2023

घर चले गए

छाती पर हमारे मूंग वो 
दर कर चले गए,
रुसवा न हुए, कुछ कहा नहीं 
वो घर पर चले गए,

ना जिक्र किया,
ना क्लास आए,
ऐप्लिकेशन भी दिए बिना 
वो सर को चले गए,

ना मिट्टी उठी,
ना अर्थी सजी,
बिन चिता लिटाये यारों हम 
मर कर जले गए,

घर का पता 
मालूम नहीं,
ना जाने का
मकसद ही पता
वो दिल को हमारे छोड़ 
किस शहर को चले गए?

हम शाम को 
क्लास खत्म करके,
जब दरवाजे उनके पहुचे,
पता चला वो 
अकेले ही 
दोपहर को चले गए,

अब कैसे करें इन्तेज़ार
कैसे भरपाई करें वक्त, 
हमें अकेला छोड़ वो 
हफ्ते भर को चले गए,

कई हो गए बीमार
कई उठा लड़े तलवार,
कोई नोच रहा कपार
जिसको उनसे था प्यार,
आशिकों की भीड़ मे 
मचा के ग़दर वो चले गए,

तमन्ना थी, आरजू थी, और 
ख्वाहिशें थी दीदार की,
जाम का दरिया था और 
अंजुमन थी सभी यार की, 
एक झलक की टकटकी 
दरवाज़े पर टिकी थी,
गुस्ताख़ी आज करने की 
बाज़ी कोई लगी थी 
महफ़िल को बनाकर मेरी 
शब-ए-ग़म वो चले गए!

उनसे हाथ मिलाया 
खुलकर नाचे उनके साथ,
किसी से खिल्लीयाँ की खूब 
किसी से रात भर की बात,
हमारे रुख किया तो 
याद आया हो रही थी देर,
देख कर मेरी फकत
मजहर वो चले गए!

अब मुस्कान कहाँ उनकी 
कहां से लाए चंचलता,
वो सजा के ख्वाबों को मेरे 
एक नजर में चले गए!😔

Wednesday 19 July 2023

खाली

खाली मेस की टेबल 
उसपर कैसे खाना?
खाली थाली भर कर 
क्या अकेले मुह डोलाना ,

जब दोस्त नहीं, ज़ज्बात नहीं 
किसी का सामने साथ नहीं,
कोई नहीं टिप्पणी करता हो 
कोई रोटी नहीं झपटता हो,

कोई नुक्श निकाल के बोले न
कोई थाली छोड़ के डोले न,
रोटी देकर चावल ले 
कोई पनीर का टुकड़ा छोड़े न,

तो भूख भी कैसी ठंडी हो 
पेट भरण की जल्दी हो,
मेस का खाना अधूरा हो 
जब दोस्त का साथ न पूरा हो!

रावण मूर्ति

रावण अपनी मूर्ति जलाता 
राम का ले सहारा 
खुद की चिता सजाता,

धुआं और रंगीन पानी 
एयरपोर्ट से खरीद लाता,
घर को पीछे छोड़ आता 
मदमस्त हो जाता,

और गाता नाचता 
लोगों को बुलाता,
मधुशाला की रात मे 
चाँद लगाता,

प्रेम के किस्से सुलझाता 
पींगे लोगों के बढ़ाता,
मुस्कुराता, एक क्वार्टर चढ़ता
और शुरूर मे हो जाता,

एन्जॉय करता रावण 
अपनी मूर्ति मे आग लगाता 
एक पेग और बनाता,
किडनी को शूली पर चढ़ाता !

Tuesday 18 July 2023

दर्श

आज बीत गया दिन 
मैंने उनको नहीं देखा,
आज सूरज तो उगा 
पर ढलते नहीं देखा,

तस्वीर देखी नयी उनकी 
WhatsApp की DP मे
सुबह से कुछ भी फिर 
बदलते नहीं देखा,

बातें सुनी उनकी 
होती सुनी चर्चा,
मै चुप रहा केवल 
कुछ कहकर नहीं देखा,

मेरी हकीकत मे
उनकी मौजूदगी भी है,
जिसको आज तक मैंने
मुड़कर नहीं देखा,

वो देखते हैं मुझको 
जाने किस इरादों से,
यह देखने को आज 
उन्हें छुपकर नहीं देखा!


Monday 17 July 2023

chill

जो होता 
इश्क पर कोई जोर,
तो हम गुनाह नहीं करते,
बात आपसे करते 
मगर परवाह नहीं करते,

जो होते 
लोग ना शामिल 
तो हम शेर नहीं लिखते,
बात जमाने की लिख देते 
आपसे दूर न रहते,

जो होती 
दूरी की गुंजाईश 
तो कहीं और रह लेते,
दिल को फुसला लिया करते 
इसे मजबूर नहीं करते!

बदतमीज

बदतमीज कह दिया हमे 
खुलकर जमाने मे,
हम हार बैठे इज्ज़त भी 
यूँ दिल आजमाने मे,

अब फैसले उनके हैं 
मेरा खयाल रखकर,
चाहते आए मजा 
हमको निभाने मे,

होने लगी रुसवा वो 
पुराने मिज़ाज से,
बस हमारी ही याद है उन्हें 
किस्से पुराने मे,

हमे चुप ही रहने की 
दी हिदायत सबके सामने,
अब है हिचक उनको भी 
मेरे गुनगुनाने मे,

मुस्कुराना आ रहा था 
सोचने पर पहले 
लाली आ जाती हैं 
बस नाम आने मे!

Sunday 16 July 2023

कविता

बस गुदगुदी होती है 
कलम चल जाता है,
आपकी याद आती है 
मन मचल जाता है,

मैं चाहता तो नहीं 
आपकी बात को लिखना,
बस  हवा चलती है 
सब बदल जाता है,

कुछ किताबें पलट कर 
दिल जमाता तो हूँ,
एक किरण आते ही 
ये पिघल जाता है!

Saturday 15 July 2023

बेवक्त

बड़े बेवक्त आए हो
दिल से गुफ़्तगू करने,
मेरे ठहरे हुए मन को 
फिर से आरज़ू करने,

अभी तुम मुस्कराओगे 
फिर से मान जायेंगे,
तमन्ना छेड़ते हो तुम 
लगे हम भी वजु करने,

तुम बोलते हो खूब 
महफ़िल लूट लेते हो,
हमको दे दी है कसम 
ज़रा-सी बात भी करने,

अब जो रुखसत का वक्त 
आया है सामने,
तुमको क्या बताये हम 
कितना भारी है पैर उठने!




ऑक्शन

मिलने की ख्वाहिश है 
पर मुलाकात नहीं कर सकता,
फोन नंबर तो है उसका 
पर बात नहीं कर सकता,

यूँ तो खरीदा है 
सबसे महँगा हमें,
पर किराये की हकीकत को 
कोई प्यार नहीं कह सकता,

उनको देखने को बैठे हैं 
खाना खाने के भी बाद,
ये बयार है झरोखों की 
इसे बहार नहीं कह सकता,

पूनम की-सी शांति है 
उनके साथ होने पर,
वो बस मेरी आरज़ू हैं 
उन्हें चांद नहीं कह सकता,

हमारी हरकतों पर गिराती हैं 
वो मुस्कान की छींटे,
पर बूँदों के काफिलों को 
मैं बरसात नहीं कह सकता,

हमें भोला समझकर वो
जो प्यार से ज्ञान देते हैं,
मैं गंगाधर ही ठीक हूँ 
अभी शक्तिमान नहीं बन सकता,

गाओ-बजाओ, मुस्कराओ 
और नाच लो ज़रा,
यारों की इस महफ़िल में कोई 
मेहमान नहीं रह सकता,

सलामत खुद को करते हैं 
हमसे दूर जाकर वो,
मुझे बादल ही है मंजूर 
अभी आसमान नहीं बन सकता,

उन्हें ढकना, दिखा देना 
मिचौली खूब भाती है,
हवा मे उड़ते रहने दो 
नदी-तालाब नहीं बन सकता,

हमें खुद ही उठाएंगे 
बरस कर जब बहेंगे हम,
बैसाख मे मुस्कराएंगे
ज्येष्ठ मे तिलमिलाएंगे,
अभी बिज़ली गिराने दो 
अभी शैलाब नहीं बन सकता,

कभी पल्के बना लेंगे 
कभी पर्दा लगाएंगे,
अभी बाकी मोहब्बत है 
अभी अंजाम नहीं कह सकता,

यूँ तो नाम लेने से 
हमें सुकून मिलता है,
कसम को तोड़कर उनकी 
मैं बदनाम नहीं कर सकता,

वो इंकार करती हैं 
हमारी शायरी पढ़कर,
उनका नाम लिख-लिखकर 
उनको हैजान नहीं कह सकता,

वो आज भी दिखते हैं 
मेरी आँखों के आईनों मे,
मुँह छुपा तो सकता हूँ 
मगर मैं साफ़ नहीं कर सकता,

मेरे दोस्त जलाते है मुझे 
उनकी तस्वीरें दिखाकर,
मै रूठ तो जाता हूँ 
मगर मुस्कान नहीं ढक सकता,

वो लंदन की गोरी हैं 
मैं खादी पहनता हूँ,
इशारे समझता हूँ 
पर बात नहीं कर सकता,

उनको मिलने के बहाने 
हम तो क्लास जाते हैं,
कहीं transfer न हो जाए 
इसलिए फॉर्म नहीं भर सकता,

गुल-ए-गुलफाम की गुंजाईश 
गुरबत मे कर रहा हूँ,
दोनों हाथ लिख लूंगा 
मैं आराम नहीं कर सकता,

कैफ़ियत लूटा दी अपनी 
हैसियत बनाने में,
अब जुनून है इरादों मे
फ़खत अरमान नही कह सकता,

इश्क हो रहा है तो भी 
आजमाना चाहता हूँ,
दिल की बात को इस बार 
मैं 'हे राम' नहीं कह सकता,

वो खुल के भींगती हैं 
हम छाता ओढ़ाते हैं,
उन्हें पहले से सर्दी है 
मै बुखार नहीं कर सकता,

बड़ी सिद्दत से चाहा है 
मेरी प्राइवेट मोहब्बत है,
PC-16 भी पढ़कर 
सरकारी काम नहीं कर सकता,

वो दवा- दारु पे जीती हैं 
मैं योगी महात्मा हूँ,
जाम बना तो सकता हूँ 
मगर प्रणाम नहीं कर सकता,

वो देखें रात भर फ़िल्में 
मै सुबह सूरज उगाता हूं,
मैं attendance तो लगा दूँगा 
उनको क्लास नहीं ला सकता,

जब लाइब्रेरी मे सामने वो 
मेरे चुप-चाप सोते हैं,
सूरज थाम लेता हूँ 
की अब शाम नहीं कर सकता,

सितारों आओ और उनको 
शामियाना सजा दो,
मेरे हाथ जल गए हैं 
मैं इन्तेजाम नहीं कर सकता,

बहारों आओ और 
उनको लोरियाँ सुना दो,
उनको नींद आ रही है 
दिल के पैगाम नहीं कह सकता,

अभी मुकर्रर न करो 
हमारा नाम महफिल मे,
उनकी खिदमत मे लगा हूँ 
मैं कोई काम नहीं कर सकता,

गंगा जटाएं छोड़ दो 
मोहन की मुरली तोड़ दो,
चाँद छुप जाओ कहीं 
सूरज निकलना छोड़ दो,
फरिश्ता हो गए हैं वो 
उन्हें इंसान नहीं कह सकता,

उनका नाम जपकर हम 
काफ़िर हो हैं अब,
इन्हीं नजरों से सूरज को 
नमस्कार नहीं कर सकता,

मुजाहिर अब कहेंगे लोग 
वापस जब भी जाएंगे,
तुम्हारे दर से भी बेहतर 
मै कोई धाम नहीं कह सकता,

'चीकु' ने दिया धोखा 
उन्हें सबसे शिकायत है,
तुम्हारी आन की कीमत तो 
दीवान-ए-आम नहीं भर सकता,

करोड़ों फूल खिलते हैं 
जब वो मुस्कराते हैं,
Oppenheimer बनाकर बम 
भी वो मुकाम नहीं कर सकता,

अभी थोड़ा-सा लेटे हैं 
जरा आराम करने को,
उनकी याद आयी तो 
मैं करवट थाम नहीं सकता,

परेशानियों मे भी
हम उनको याद करते हैं,
वो उदास न होये 
की मैं नाकाम नहीं रह सकता,

अब नहीं है उनसे 
कोई उम्मीद मिलने की,
पर दिल है जनाब 
कोई बाँध नहीं सह सकता!

चाय

चाय ही सही 
तुम्हारे साथ के लिए,
भीड़ ही सही 
कुछ बात के लिए,
सुन भी लेंगे 
किसी और के किस्से,
तौहीन ही सही 
तुम्हारी मुस्कान के लिए,

पढ़ाई तो नहीं 
क्लास मे कर रहे,
मौका है मेरा 
तुम्हारे पास के लिए,
कुछ देर मे होगी 
तुम भी रुखसत कहीं और 
कुछ दिन ही बचे हैं 
मुलाकात के लिए,

इन किताबों के पन्ने 
हैं पलटने मगर,
किरण भी चाहिए कुछ
इस बरसात के लिए,
हर बात तो कह कर 
बता नहीं सकते,
चुप हुए हैं आजकल 
अंतराल के लिए,
हमसे दिल की ये बातें 
अब छुपती कहाँ हैं,
नजरें चुराते 
हर बात के लिए,

तुमको ये डर है 
की हो न नुमाइश,
तुम हो तो नहीं 
इक मज़ाक के लिए,
Feelings ढूंढ़ने मे
खपाया है वर्षों,
अब बिकना ही क्यूँ 
इक ज़ज्बात के लिए,
दो नदी के किनारे 
चलते हैं साथ मे,
क्या है मिलना किसी से 
चंद रात के लिए!


Friday 14 July 2023

राँची का सूरज

राँची का सूरज चला गया 
वो सुबह-सुबह
जा सोने वाला,
गंगा-सा 
मन धोने वाला,
दूसरों को हँसाने वाला 
सबके आँसू पोछने वाला,

राँची का सूरज चला गया!

वो बात-बात पर 
झुकने वाला,
साढ़े 12 उठने वाला,
हर खेल को 
मिलकर जीतने वाला,
Walk of pride 
करने वाला,
शेर हमारा चला गया,

कविता क्लास मे
पढ़ने वाला,
वो किरण के 
प्रेमी का साला,
जियांका को 
हंसाने वाला,
पोल डांस 
दिखलाने वाला,
PD से ना 
डरने वाला,
मेरी attendance 
लगाने वाला,
मेरा मंदिर 
बनवाने वाला,
सबको खूब 
नचाने वाला,
पीकर हुड़दंग 
मचाने वाला,

90° गेंद घुमाकर 
पीछे मुड़ मुस्काने वाला,
वो दाएं देखकर 
बाये serve लगाने वाला,
वो ट्रेन की 
training मे जाकर,
पटरी से ट्रेन 
हटाने वाला,
वो बाबा साहब को राँची 
दीवारों पर 
टांगवाने वाला,
स्पन्दन को भी 
लंबा लंबा चूल 
पर ठुमके 
लगवाने वाला,
हर गाली को 
डबल लगाकर 
नया सबक 
सिखलाने वाला,

करके राँची को अँधियारा 
बीच राह मे बदल गया,
सूरज हमरा चला गया!

Wednesday 12 July 2023

इश्क

कुछ होश नहीं रहता 
कुछ ध्यान नहीं रहता,
इंसान मोहब्बत मे
इंसान नहीं रहता,

उनका नाम जुबां पर है 
ऐसी इश्क की फितरत है,
कोई जान लुटाता है 
यूहीं बदनाम नहीं रहता,

यूँ तो इबादत मे
हम शामों-शहर बैठे,
उनपर नज़र करके 
मेरा ईमान नहीं रहता,

गर तुम जो ये चाहोगे 
तो मर के दिखा देंगे,
जब बात तुम्हारी हो 
तो मैं नाकाम नहीं रहता,

कहने को तो हम 
दिल के हाल खुला कह दे,
पर सामने आने पर 
यह आसान नहीं रहता,

हम प्यार जताने को 
कोई गीत नया लिख दे,
पर आँखें ही न बोल सकीं 
तो फिर अभिमान नहीं रहता!



Tuesday 11 July 2023

Interest

जिसको मूलधन दे दिया 
वो ब्याज की बात करते हैं,
जिसको पनीर खिला रहे 
वो लहसून प्याज की बात करते हैं,

दिल की बात नहीं समझते 
वो अंदाज की बात करते हैं,
हमारे आँखों है नम हो रही 
वो अल्फाज की बात करते हैं,

आज रुसवा हुए हैं 
औरों की बात सुनकर,
वो उधर देखकर 
सारे जहां से बात करते हैं,
अब चुप रहने लगे हैं 
उनके सामने आने पर,
वो मुस्कराकर
हमारी शाखों पर वार करते हैं,

इतने बेख़बर होने का 
बहाने किया करते हैं,
वो हमारे जाने पर 
दरवाजों से गले मिलते हैं,
अपने काम हमें वो 
बताकर नहीं कराते,
हमारे प्रेम का 
ऐसा इम्तेहान करते हैं,
धुन हमारी सुनकर 
उसे शोर कहते हैं,
इबादत मे तुम्हारे साथ 
जिनका नाम खुदा कहते हैं,

रोक लेते अगर
दूर जाने से पहले,
अंगूठा काट देते हम 
मुख से न राम कहते हैं!

संपूर्ण

रह गई 
कुछ कहने वाली 
बातें चार जनों के बीच,
ठहर गई 
कुछ कहने वाली 
जुबां हमारे मन के भीच,

राह मे राम के 
फूल बिछाये,
अपने नीर को 
और बहाए,
हमने घूमे 
चारो धाम,
पर किसको मिलते पूरे राम?

कुछ सोचा 
तो हुआ नहीं,
कुछ पाया 
पर जँचा नहीं,
समझ समेट के 
मुट्ठी भर का,
साधने चले 
बड़ा मैदान,
किसके बस के पूरे राम?


तन्द्रा

बिन समस्या 
ढूंढता समाधान,
भय मे डूबा
अंतर्ध्यान,

कैसी विवेचना 
कैसा ज्ञान,
जब मन से 
मौन हुए सिया राम,

आज न लो 
कोई भी फैसला,
पहले टूटे 
भय की तन्द्रा,
जो विस्मृत 
कर दे हर ज्ञान,
आए किरण 
जो द्वार सुजान 
तब अन्तर की 
खुलती निद्रा!

Saturday 8 July 2023

पा लूँ

कोई चीज नहीं 
की सबसे पहले 
कर लूँ हासिल,
और छीन लूँ 
किसी और से 
भोंक दूँ तलवार,
खरीद कर 
ला दूँ तुम्हें 
मैं लूट लूँ बाजार,

फिर लगाकर लड़ी
खिड़कियों दरवाजों पर,
करूँ घर का मैं श्रृंगार,
या उठाकर 
रख दूँ तुम्हें 
ऊँचे मर्तबान
जहाँ छू ना सके कोई 
तुम रहो नहीं इंसान,
तुम से लूट कर तुमको 
तुम पर करूँ 
मैं कोई बड़ा एहसान!

Friday 7 July 2023

गुनाहगार

ज़माने मे कितने ग़म हैं 
हम पर भी हुस्न के 
गहरे सितम हैं,
मशगूल हैं लोग 
हमारी कदर खोने पर,
नाम लेते हमारा 
वो ही क्या कम है?

उनसे मोहब्बत 
करते बहुतेरे,
उनकी इनायत को 
बहुतों को फेरे,
उनकी मुस्कान को 
खेलते हैं खेल,
उनके नजारे को 
ताकतें मुंडेर,
उनकी महफिल मे 
हम ही हैं गुनाहगार,
उनकी उल्फत को झेले
हम मे ही दम है?

पूछते हैं बहुत 
खैरियत की ख़बर,
चुराते बहुत 
उनसे राहों मे नजर,
नाम लेते नहीं 
बिन नज़र को चुराए,
इश्क करते हुए 
कर रहा है असर,
अब फिसल भी ना जाए 
तो कैसे सनम हैं?

हर आहट पर 
आने की उनकी तमन्ना,
हर बात पे उनके 
विचारों की दुनिया,
हर अक्षर पर उनके 
फंसाने चाहूँ लिखना,
यूहीं हर बखत
तराने गुनगुनाना,
अब खुश भी ना हों 
ये कैसी कसम है?

तुनक से तुनक कर
बहस हो रही है,
आने की जाने की 
वजह बढ़ रही है,
खुशामद करे तो 
बहुत-सी तारीफें,
उनके रगों मे
लहू उबाल की है,
मज़ा आ रहा है 
ये नशीला वहम है!


Thursday 6 July 2023

खाना

आज माँ नहीं 
स्कूल को जाते हुए,
मुँह मे निवाला 
ठुसाते हुए,

आज प्रार्थना से पहले,
पढ़ाई से पहले,
अन्न को अंजुरी 
चढ़ाते हुए,
प्रिन्सिपल सर के 
नियमों को 
स्कूल से बाहर,
पल्लू से सर से 
सुखाते हुए,

आज मेस है 
बर्तन पर बर्तन 
सजाते हुए,
आदेश पर 
omelette बनाते हुए,
आज उत्तम भैया हैं 
खाना बनाकर 
भगाते हुए,
ऑफिस की ड्यूटी 
बजाते हुए,
आज बच्चे 
बड़े हैं 
क्लास मे सैंडविच 
छुपाते और खाते हुए,
मक्के की रोटी भूलते हुए!



Reflection

कभी खुद को 
आईने मे देखो,
ऐसे ही नाहक 
मुस्कराते हुए,

जब किसी बात 
फ़िक्र नहीं करती,
तब देखो खुद को 
इतराते हुए,

उँगलियाँ उठाकर 
लड़ते हुए,
अपनी बात को 
समझाते हुए,
उस आवेग मे
मन डोलाते हुए,
खुद अपनी 
किरण मे
नहाते हुए,

मेरी कविताओं को 
दिल से सुनते हुए,
लाली को गालों पर 
चढ़ते हुए,
डर के 
कोई अपने को 
ढूंढ़ते हुए,
मेरी साथ 
राहों मे चलते हुए,

कभी रुक जाओ 
तुम मुझसे चिढ़ते हुए,
अपनी नाक का 
रंग बदलते हुए,
कभी बाहों मे मेरे 
छोड़ दो खुद को यूहीं 
जब उफन जाती हो 
मुझसे जलते हुए,

आंखों को छोटा 
करके निहारो,
तुम मेरी जब आदतें 
बदलते हुए,
आओ मुझको 
छूकर जरा देख लो,
मुझको अपने 
जैसा सवारते हुए!

राम का हाथ

उसको कौन-सी 
राह सुझाएं 
राम ने जिसको 
छोड़ दिया ?

महावीर की 
चौखट बैठे,
ध्यान किया 
और घर को लौटे,
राम ने उसको
हाथ बढ़ाया,
राम-मधु को 
खूब लुटाया,
पर राम की माया 
मे लिपटाया,
अब उसको
कौन होश मे लाए?

राम का सेवक 
राम की छाया 
राम, राम को ही 
समझाये!

Monday 3 July 2023

कहाँ नहीं हैं राम?

कहाँ नहीं हैं मेरे राम?

चींटी मे, तिलचट्टे मे
मच्छर मे, गुलदस्ते मे,
बकरी मे और कुत्ते मे
शेर, हिरण और पत्ते मे

लड़की मे और लड़के मे
कर्मचारी और अफसर मे
घर मे और दफ्तर मे
किचन मे और बिस्तर मे,

आम मे, अमरूद मे
संतरे मे, जामुन मे,
भिंडी मे और परवल मे
दहाड़ मे और कलरव मे,

हर दिशा मे, हर क्षेत्र मे
हर रूप मे, हर भेद मे
जहाँ नहीं हैं मेरा काम 
वहाँ भी रहते मेरे राम!🙏



किरण

कौन है किरण?
 
एक भँवरे की गुंजन 
एक तितली की स्पन्दन,
एक चिड़िया की चहक 
एक फूल की महक,
एक सुबह का उजाला 
एक शाम सितारा,

एक बटोही की उम्मीद
एक गुमराह की तकदीर,
एक माँ की तपस्या 
एक पिता की सफलता,
एक भक्त की ज्योति 
एक सीप की मोती,

विज्ञान की कोई खोज 
ज्वार-भाटे की मौज,
कलाम की एक सोच 
Oppenheimer की approach,
न्यूटन की फोटोन 
Einstein की पहचान,

किसी बच्चे की मुस्कान 
खुलती हुई रमजान,
पहाड़ों की चमक
ठहाकों की खनक,
राम का तिलक 
शिवशक्ति की झलक,

गंगा की पवित्रता 
मानसरोवर की शीतलता,
बारिशों का श्रोत 
सूर्यवंशीयों की गोत्र,
कविताओं की पहुंच 
या इतिहास की समझ!

सच्चे दिल सरकर
हर वक्त की बहार,
जीवन का उल्लास 
दोस्तो मे झक्कास,
करोड़ों फूलोँ की मुस्कान 
थोड़ी-सी शैतान,
हल्की-सी परेशान 
जयपुर की शान 
Women with a difference
lady with a class?
Or puffed with a cigarette 
drowned in a glass?

Sunday 2 July 2023

विशाल-नीरज

जब सूरज नहीं निकलता है 
तब पास तुम्हारे आता हूं,
जब मुस्कान खोजता हूँ 
तो पास तुम्हारे आता हूँ,

जब अपने से मैं तंग हुआ 
संसार देखकर दंग हुआ,
सपनों की झूठी उलझन मे
जब अकेला मै हो जाता हूँ,

जब बचपन की 
गली मे जाना हो,
जब खुलकर 
नाचना गाना हो,
जब दोष कोई 
मुझपर मढ दे,
और संशय कोई 
मिटाना हो,

जब समझ कोई 
पाए न हमे,
जब डर से अपने 
पांव रुके,
जब प्रेम-प्रपंच मे
रास्ते बंद,
जब दिल लग जाये 
किसी के संग,
तब अपनी बात बताने को,

जब राम स्तुति करते हैं 
जब नाम कृष्ण का जपते है,
हनुमान से मस्त कलंदर को 
जब आस-पास ढूंढ़ते हैं,
जब भरत की बातें होती हैं
जब लक्ष्मन रात टहलते हैं,
जब नयन गोविंद के दर्शन को 
एका एक अकुलाते हैं,
हम छोड़ के अपनी कण्ठी-माला
आप से हाथ मिलाते हैं,

जब खेल कोई भी खेलते हैं 
जब TT बैट उठाते हैं,
जब सुबह-सुबह साइकिल लेकर 
हम मान सरोवर जाते हैं,
जब अक्षय कुमार की फ़िल्मों का 
हम कोई गाना गाते हैं,
जब बाबा साहब की तस्वीर
हम दीवारों पर लगाते हैं,
तब जीवन तत्व की मूर्ति को 
हम आपके अंदर पाते हैं,

जब सूरज नहीं निकलता है
तब पास तुम्हारे आते हैं!




Saturday 1 July 2023

होश

मैं देख सकूँ तुमको 
इसलिए होश मे रहता हूँ,

तुम जाम सजाते हो 
धुएँ के गोल बनाते हो,
छलकाते हो मदिरा 
दिल के राज बताते हो,
मै साथ तुम्हारा दे पाऊँ 
यह जोश मे रहता हूँ,

तुम आँखें छोटी कर लेते 
दोस्तों के दर्द खुला करके,
जादू की झप्पी दे देते 
जब वो रोते बिलख करके,
मै कंधों पर सर को ले पाऊँ 
इसलिए निर्दोष मैं रहता हूँ,

किस्से- गोई मे हँसा-हँसा कर 
पेट मे दम कर देते हो,
अपने गली-मुहल्लों की 
होली मे हमे भिगोते हो,
सूखे चखने खा पाऊँ 
मै रेस मे रहता हूँ,

नाचना तांडव शिव जैसा 
और गाना मीरा का प्रेम भरा,
रास कृष्ण के गोकुल का 
और ज्ञान कुरुक्षेत्र वाला,
मै देख तुम्हारी मधुभक्ति 
बुद्ध-सा तृप्त जो होता हूँ,

मेरे राम का ऐसा रूप देख 
मै चकित बहुत हो जाता हूँ,
मै अपने भ्रम का धनुष तोड़कर 
कुछ और स्थिर हो जाता हूँ,
राम नाम की मदिरा मे
मदहोश मैं रहता हूँ!

नवरात्र

भावनाओं की कलश  हँसी की श्रोत, अहम को घोल लेती  तुम शीतल जल, तुम रंगहीन निष्पाप  मेरी घुला विचार, मेरे सपनों के चित्रपट  तुमसे बनते नीलकंठ, ...