इसलिए होश मे रहता हूँ,
तुम जाम सजाते हो 
धुएँ के गोल बनाते हो,
छलकाते हो मदिरा 
दिल के राज बताते हो,
मै साथ तुम्हारा दे पाऊँ 
यह जोश मे रहता हूँ,
तुम आँखें छोटी कर लेते 
दोस्तों के दर्द खुला करके,
जादू की झप्पी दे देते 
जब वो रोते बिलख करके,
मै कंधों पर सर को ले पाऊँ 
इसलिए निर्दोष मैं रहता हूँ,
किस्से- गोई मे हँसा-हँसा कर 
पेट मे दम कर देते हो,
अपने गली-मुहल्लों की 
होली मे हमे भिगोते हो,
सूखे चखने खा पाऊँ 
मै रेस मे रहता हूँ,
नाचना तांडव शिव जैसा 
और गाना मीरा का प्रेम भरा,
रास कृष्ण के गोकुल का 
और ज्ञान कुरुक्षेत्र वाला,
मै देख तुम्हारी मधुभक्ति 
बुद्ध-सा तृप्त जो होता हूँ,
मेरे राम का ऐसा रूप देख 
मै चकित बहुत हो जाता हूँ,
मै अपने भ्रम का धनुष तोड़कर 
कुछ और स्थिर हो जाता हूँ,
राम नाम की मदिरा मे
मदहोश मैं रहता हूँ!
 
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