Tuesday 11 July 2023

संपूर्ण

रह गई 
कुछ कहने वाली 
बातें चार जनों के बीच,
ठहर गई 
कुछ कहने वाली 
जुबां हमारे मन के भीच,

राह मे राम के 
फूल बिछाये,
अपने नीर को 
और बहाए,
हमने घूमे 
चारो धाम,
पर किसको मिलते पूरे राम?

कुछ सोचा 
तो हुआ नहीं,
कुछ पाया 
पर जँचा नहीं,
समझ समेट के 
मुट्ठी भर का,
साधने चले 
बड़ा मैदान,
किसके बस के पूरे राम?


No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...