Friday 28 July 2023

जाकि रही भावना जैसी

देखा मुझको 
क्रीड़ा करते,
देखा सर को 
मजे लेते,
आज ही 
छूने वाले को,
कह दिया 
कामी कहते-कहते,

मेरे प्रेम-भाव 
को परखा,
पशुवत-भाव मे
आज तौल के,
आज क्षणिक 
भावों मे बहके 
देखा उसने 
जग उल्टा करके!


No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...