वो ब्याज की बात करते हैं,
जिसको पनीर खिला रहे
वो लहसून प्याज की बात करते हैं,
दिल की बात नहीं समझते
वो अंदाज की बात करते हैं,
हमारे आँखों है नम हो रही
वो अल्फाज की बात करते हैं,
आज रुसवा हुए हैं
औरों की बात सुनकर,
वो उधर देखकर
सारे जहां से बात करते हैं,
अब चुप रहने लगे हैं
उनके सामने आने पर,
वो मुस्कराकर
हमारी शाखों पर वार करते हैं,
इतने बेख़बर होने का
बहाने किया करते हैं,
वो हमारे जाने पर
दरवाजों से गले मिलते हैं,
अपने काम हमें वो
बताकर नहीं कराते,
हमारे प्रेम का
ऐसा इम्तेहान करते हैं,
धुन हमारी सुनकर
उसे शोर कहते हैं,
इबादत मे तुम्हारे साथ
जिनका नाम खुदा कहते हैं,
रोक लेते अगर
दूर जाने से पहले,
अंगूठा काट देते हम
मुख से न राम कहते हैं!
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