तुम्हारे साथ के लिए,
भीड़ ही सही
कुछ बात के लिए,
सुन भी लेंगे
किसी और के किस्से,
तौहीन ही सही
तुम्हारी मुस्कान के लिए,
पढ़ाई तो नहीं
क्लास मे कर रहे,
मौका है मेरा
तुम्हारे पास के लिए,
कुछ देर मे होगी
तुम भी रुखसत कहीं और
कुछ दिन ही बचे हैं
मुलाकात के लिए,
इन किताबों के पन्ने
हैं पलटने मगर,
किरण भी चाहिए कुछ
इस बरसात के लिए,
हर बात तो कह कर
बता नहीं सकते,
चुप हुए हैं आजकल
अंतराल के लिए,
हमसे दिल की ये बातें
अब छुपती कहाँ हैं,
नजरें चुराते
हर बात के लिए,
तुमको ये डर है
की हो न नुमाइश,
तुम हो तो नहीं
इक मज़ाक के लिए,
Feelings ढूंढ़ने मे
खपाया है वर्षों,
अब बिकना ही क्यूँ
इक ज़ज्बात के लिए,
दो नदी के किनारे
चलते हैं साथ मे,
क्या है मिलना किसी से
चंद रात के लिए!
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