Wednesday 26 July 2023

रुबरु

रुबरु हैं आज 
उनके सामने हम,
अब है अगन
हर्षित है मन 
हर टूटते बंधन,

घर के घेवर
तीखे तेवर,
रुकी हुई मुस्कान,
आज सुनने 
और सुनाने 
को बहुत से बैन,
आज चमकीले से जुगनू 
फिर वही दो नैन,
आज सूरज डूबा मगर 
फिर भी हुयी ना रैन,

आज छाया है उजाला 
आज सावन का नज़ारा,
आज बैरागी हवा 
आज राँची का किनारा,
सब हुए हैं मौन,
 संग आवेग और उल्लास 
आज गौरी से मिले हैं 
महादेव कर उपवास! 

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...