Thursday 27 July 2023

मणिपुर

वो भी हो गया 
जो लगती थी 
बीते कल की बात?

आज नए समाज 
के साजो-सामान,
उठाकर कैमरा 
और हथियार,
ले चले आबरू को 
बीच बाज़ार,

भीड़ के चेहरे 
बहुत हज़ार,
पर बदले की आग 
चढ़ परवान,
आज करते 
वस्त्र-हीन 
खुला व्यवहार 
भारत माँ के 
चीर फाड़,
संदेश देखता 
संपूर्ण संसार,

द्रौपदी का चीर 
पूरे उतार
करता दुर्योधन 
यह ललकार,
जीतने की 
वस्तु हो या नहीं 
पर न्याय का 
सबको है अधिकार,
अपनी लूटी हुई 
इज्ज़त का 
चीर खोलकर 
करता निस्तार,

मोहन के चरखे 
मे आएगी 
अब कैसे 
सूतों की धार,
जो सत्याग्रह
राह से बुनकर,
बढ़ा सके नारी सम्मान,
बचा सके इज़्ज़त और मान
नारी ही को 
बनना होगा,
आज अपना ही पालन-हार !

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...