दिल से गुफ़्तगू करने,
मेरे ठहरे हुए मन को
फिर से आरज़ू करने,
अभी तुम मुस्कराओगे
फिर से मान जायेंगे,
तमन्ना छेड़ते हो तुम
लगे हम भी वजु करने,
तुम बोलते हो खूब
महफ़िल लूट लेते हो,
हमको दे दी है कसम
ज़रा-सी बात भी करने,
अब जो रुखसत का वक्त
आया है सामने,
तुमको क्या बताये हम
कितना भारी है पैर उठने!
No comments:
Post a Comment