छत पर जाकर,
ब्रश करते पेड़ों पर
झूलती हुई चिड़ियों पर
डाल देता हूं एक नज़र,
मुस्कुरा कर गाता
हूं कोई गीत,
झूम जाता देवानंद की तरह
मै राजेश खन्ना बनकर
सिर घुमाता, मुस्कुराता,
वाह वाह करके मै
चिल्लाता, लोगों को
दिखाता और हंसाता,
मै रूसो के कहने पर
प्रकृति के पास जाता
मै खुद को
बेड़ियों से मुक्त करता
और उड़ जाता,
उड़ता चिड़ियों के
संग दूर आसमान मे
चला जाता
हवाई जहाज को उड़ाता
शरीर की
मन की लहरों मे
गोते लगाता
मै प्रकृति मे
ॐ कहकर उतर जाता,
मै ॐ बोलकर रुक जाता😁🥳