Tuesday, 9 August 2022

जहां से आया था!

मै वहीं जा रहा हूं 
जहां से आया था,
वही पेड़ है, वही फर्श है
जिसपर मां ने सुबह
पोछा लगाया था,

वही पढ़ाई कर रहा हूं
जो समझता था धीरे–धीरे,
वही लोट कर पढ़ता हूं
सो जाता धीरे–धीरे,
मां आकार खाना देती
मै खा लेता कुछ देखते हुए
मै थाली रख आता आंगन मे
पानी पीता बात करते हुए,
मै आज फिर से वही खा रहा हूं,

मै वही पेड़ों के झुंड
मे सामान्य–सा 
दौड़ जाता हूं,
आसमान की ओर देखता
सो जाता हूं,
मै ऊपर की झुरमुट मे
खो जाता हूं,
मै आज फिर सांसें मे
राम बसाता हूं!

मै बबिता के साथ
कहानियां 
अंधेरा देखकर बनाता हूं
मै लाइट आने पर 
जोर से चिल्लाता हूं,
लाइट चले जाने पर
बबिता के घर दौड़ जाता हूं
मै पापा की चारदीवारी
को फिर से लांघ जाता हूं
मै चाचा और चाची के घर
खाना खाता हूं,
विक्रम के साथ 
होमवर्क करता हूं,
दादाजी के साथ नहाता हूं,

हां मैं फिर से बच्चा बन जाता हूं!

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