जाती है क्या मेरे स्कूल तक,
लद के आते हैं क्या इसपर
बच्चे दुपहियों पर,
क्या बातें करते हैं इसकी
कुछ बच्चे स्कूल जाते वक्त,
इसपर साइकिल चलाती हैं
बच्चियां खिलखिलाकर?
क्या यही वो घंटा होता
जब बच्चे खुश होते
दिन मे इक बार,
जब टीचर और मां बाप से
कुछ पाते समय वो बचकर,
आम तोड़ने जाते हैं
नहाने नहर की डंडी धर?
ये कच्ची सड़क न होती तंग
और फूल बिछाती राहों पर,
बरसात इसे आ ढक लेती
और खुल जाती यह आने पर,
यह पतली–सी कच्ची डगर
आज ट्रेन से जो आ गई नज़र!
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