आ गया रक्षाबंधन,
आ नहीं सकते हो अब
आओगे तुम और कब?
जब हो बगल मे घर के
या जब होगे स्वर्ग मे,
जब थी दीवाली आ गए
जब था दशहरा चल दिए
नवरात्र मे व्रत रह लिए
राम जन्म पर गा लिए
और जन्माष्टमी दही खा लिए
होली को तुम मुंह रंगे और
बकरीद पर तुम मर मिटे,
आते नहीं हो घर की जब
मै भूख मे बैठी रही,
मैने सजाई थाल और
घी के दिए पकड़ी रही,
तो क्या रहा बंधन
और क्या रहा वह मन
जब आए नही हो तुम
आओगे कब फिर तुम?
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