तुम यूँही रूठ जाया करो,
मै तुमको मनाने तराने लिखूँगा।
तुम ग़ुस्सा भी होना,
बिना बात, बेवक्त,
मै क्षमा माँगने के बहाने कहूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......
तुम कहना मुझे
एक पत्थर की मूरत,
बन जाए मेरी भी
छोटी-सी सूरत।
तुम ख़ामोश रहकर
मेरी मसखरी पर,
देना मुझे
कोई दर्द बेमुरौव्वत,
मै उन्हें चूमकर,फिर सिरहाने धरूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......
वजह ना कोई
तुम मुझको बताना,
मुझे ही पड़े
एकैक लम्हा उलटना।
गर मै जो बता दूँ
तुम्हारे मन की मुसीबत,
आँखें घूमाना,
कुछ मुस्कुराना।
तुम्हारे होंठों से पीकर
मै उस ख़ुशी को,
अपने नशे पर किताबें लिखूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......
मै तुमको मनाने तराने लिखूँगा।
तुम ग़ुस्सा भी होना,
बिना बात, बेवक्त,
मै क्षमा माँगने के बहाने कहूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......
तुम कहना मुझे
एक पत्थर की मूरत,
बन जाए मेरी भी
छोटी-सी सूरत।
तुम ख़ामोश रहकर
मेरी मसखरी पर,
देना मुझे
कोई दर्द बेमुरौव्वत,
मै उन्हें चूमकर,फिर सिरहाने धरूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......
वजह ना कोई
तुम मुझको बताना,
मुझे ही पड़े
एकैक लम्हा उलटना।
गर मै जो बता दूँ
तुम्हारे मन की मुसीबत,
आँखें घूमाना,
कुछ मुस्कुराना।
तुम्हारे होंठों से पीकर
मै उस ख़ुशी को,
अपने नशे पर किताबें लिखूँगा।
तुम यूँही रूठ जाया करो.......