तुमने काँटों की डाली देखी,
मख़मल सुर्ख़ गुलाब ना देखा।
तुमने घटाएँ काली देखी,
बादल का उन्माद ना देखा।
तुमने देखी हँसी-ठिठोली,
अंदर का अवसाद ना देखा।
तुमने आँखें सूखी देखी,
सूखे आँसू की धार ना देखा।
तुमने देखी भाषा मेरी,
पर मेरा व्यवहार ना देखा।
तुमने देखा वक़्त लगा है,
पर मेरा इक़रार ना देखा।
तुमने देखा जिरह बड़ी है,
अपनेपन का एहसास ना देखा।
तुमने देखा पत्थर-मूरत,
उसपर गहरा घाव ना देखा।
तुमने अपना बचपन देखा,
उसमें मुझको पास ना देखा।
तुमने अग्निपरीक्षा देखी,
सीता का विश्वास ना देखा।
तुमने मेरा होंठ टटोला,
बंद आँखों का भेद ना देखा।
चुम्बन तुमने फीका पाया,
रोम-रोम उल्लास ना देखा।
तुमने Aadhar connection देखा,
ठिठुरा, कुम्हला हाथ ना देखा,
तुमको मैंने कितना देखा,
पर तुमने इक बार ना देखा।
No comments:
Post a Comment