Sunday 3 March 2019

Out of syllabus

बच्चों की-सी mimicry,
राजेश खन्ना की  आवाज़।
ice-cream की तीन प्लेटें,
और चौथे का  परवाज़।

रात जागी आँखें,
दोपहर की उबास।
class मे हो देरी,
सहमा आशावाद।

साइकिल मे कम हवा,
पर lift ना लूँँ आज।
सबसे तुम छुपाती,
मन की खुराफात।

Google search करती,
India's top 10 Don.
दुबई की छोड़ी नौकरी,
डिंगो के चार हाथ।

भूख से  बिलखती
होकर जमींदोज,
घर के सर जुटाती
पढ़ने के वक्त रोज़।

नजरें चुरा के crush से
लंबी सड़क धरे,
चश्मा ही भूल जाती
जब उनको दिल गहे।

करके मेरी शिकायत
कहती नहीं खबर,
उल्टा मुझे डरा कर
चोरी करे नजर।

पम्मी मुझे बुलाती,
होंंठों को बंद कर।
तुम ढूंढती ठहाके
बुर्के को तंज़ कर।

तेरी आवारगी के जितने,
शर हैंं, उतने ही भेद।
out of syllabus ही जीती पलभर,
उस पर भी करती खेद ।

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