और मै मेरा मजबूत है
हैं मुझे दर्शन दिखाते
नाम रूपी राम,
फिर न सोया रात मै
करता नहीं कुछ काम
मन जरा विचलित रहा
धरता रहा कुछ काम
आ गए मद्धिम हवा मे
सांस वाले राम,
कुछ वीभत्स–सा
देखा जो मैने
नाक मुंह सिकोड़ कर,
दूर जाकर मै कराहा
मुख मे आए राम
दिख गए सब धाम,
आ गया आवेश मे
बहियां सिकोड़ ली,
आज मैंने हाथ उठाने
की ही मन मे सोच ली,
कातर नयन से देखकर
हाथ उसने जोड़कर
मुझको ही हरा दिया
दुश्मन के मुख के राम,
जब डरा मै प्रश्न से
कलम भी थम–सी गई,
धनुष–सा टूटे परस्पर
Exam वाले राम!
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