Friday 28 July 2023

बड़े साहब

वो सीढ़ियों के पास खड़े
बातें लोगों को बता रहे थे,
यकायक बीच-बीच मे
अपनी आवाज़ वो बढ़ा रहे थे,

भौंहे तनी, आँखें चौड़ी 
हाथों को बरबस 
हिला रहे थे,
चहलकदमी करके वो 
इधर का उधर 
कुछ बता रहे थे,

आस-पास सब 
लोग जमा थे,
काम छोड़कर 
हुए मना थे,
साहब जी के 
मूड मुताबिक 
नाक और मुँह 
बना रहे थे,

कुछ ने कहा की 
बात सही है 
आज व्यवस्था 
मरी पड़ी है,
कुछ ने कहा 
ज्यादा हो गया,
रात की अब तक 
नहीं उतरी है,
कुछ ने कहा की 
कुछ गड़बड़ी है 
मैडम मायके से 
वापस आयी है,
अनिल बहुत ही 
सोच के बोला,
'सर सिगरेट से 
अच्छी बीड़ी है',

कोई बोला 
मुसलामान है,
कोई बोला 
बिन पगड़ी है,
कोई बोला 
टिकट कटा है,
किसी को लगा की 
आज फटा है,
किसी ने मेडिकल हिस्ट्री देखी 
'दुग्गल साहब' के जैसी सेखी
इंच-टेप से नपा हुआ है 
साहब मेरा bipolar है,

तब ही कोई और जोर चिल्लाया 
सारा मजमा उधर घुमाया,
साहब सरल विनीत मुस्काये 
हाथ जोड़कर आगे आए,
साहब के रोग दुरुस्त 
साहब हो गए एकदम चुस्त 
साहब ऐसे सकुचाये हैं 
लगता है 'बड़े साहब' आए हैं!

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