तब पास तुम्हारे आता हूं,
जब मुस्कान खोजता हूँ
तो पास तुम्हारे आता हूँ,
जब अपने से मैं तंग हुआ
संसार देखकर दंग हुआ,
सपनों की झूठी उलझन मे
जब अकेला मै हो जाता हूँ,
जब बचपन की
गली मे जाना हो,
जब खुलकर
नाचना गाना हो,
जब दोष कोई
मुझपर मढ दे,
और संशय कोई
मिटाना हो,
जब समझ कोई
पाए न हमे,
जब डर से अपने
पांव रुके,
जब प्रेम-प्रपंच मे
रास्ते बंद,
जब दिल लग जाये
किसी के संग,
तब अपनी बात बताने को,
जब राम स्तुति करते हैं
जब नाम कृष्ण का जपते है,
हनुमान से मस्त कलंदर को
जब आस-पास ढूंढ़ते हैं,
जब भरत की बातें होती हैं
जब लक्ष्मन रात टहलते हैं,
जब नयन गोविंद के दर्शन को
एका एक अकुलाते हैं,
हम छोड़ के अपनी कण्ठी-माला
आप से हाथ मिलाते हैं,
जब खेल कोई भी खेलते हैं
जब TT बैट उठाते हैं,
जब सुबह-सुबह साइकिल लेकर
हम मान सरोवर जाते हैं,
जब अक्षय कुमार की फ़िल्मों का
हम कोई गाना गाते हैं,
जब बाबा साहब की तस्वीर
हम दीवारों पर लगाते हैं,
तब जीवन तत्व की मूर्ति को
हम आपके अंदर पाते हैं,
जब सूरज नहीं निकलता है
तब पास तुम्हारे आते हैं!
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