खुलकर जमाने मे,
हम हार बैठे इज्ज़त भी
यूँ दिल आजमाने मे,
अब फैसले उनके हैं
मेरा खयाल रखकर,
चाहते आए मजा
हमको निभाने मे,
होने लगी रुसवा वो
पुराने मिज़ाज से,
बस हमारी ही याद है उन्हें
किस्से पुराने मे,
हमे चुप ही रहने की
दी हिदायत सबके सामने,
अब है हिचक उनको भी
मेरे गुनगुनाने मे,
मुस्कुराना आ रहा था
सोचने पर पहले
लाली आ जाती हैं
बस नाम आने मे!
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