इश्क पर कोई जोर,
तो हम गुनाह नहीं करते,
बात आपसे करते
मगर परवाह नहीं करते,
जो होते
लोग ना शामिल
तो हम शेर नहीं लिखते,
बात जमाने की लिख देते
आपसे दूर न रहते,
जो होती
दूरी की गुंजाईश
तो कहीं और रह लेते,
दिल को फुसला लिया करते
इसे मजबूर नहीं करते!
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