Saturday 15 July 2023

ऑक्शन

मिलने की ख्वाहिश है 
पर मुलाकात नहीं कर सकता,
फोन नंबर तो है उसका 
पर बात नहीं कर सकता,

यूँ तो खरीदा है 
सबसे महँगा हमें,
पर किराये की हकीकत को 
कोई प्यार नहीं कह सकता,

उनको देखने को बैठे हैं 
खाना खाने के भी बाद,
ये बयार है झरोखों की 
इसे बहार नहीं कह सकता,

पूनम की-सी शांति है 
उनके साथ होने पर,
वो बस मेरी आरज़ू हैं 
उन्हें चांद नहीं कह सकता,

हमारी हरकतों पर गिराती हैं 
वो मुस्कान की छींटे,
पर बूँदों के काफिलों को 
मैं बरसात नहीं कह सकता,

हमें भोला समझकर वो
जो प्यार से ज्ञान देते हैं,
मैं गंगाधर ही ठीक हूँ 
अभी शक्तिमान नहीं बन सकता,

गाओ-बजाओ, मुस्कराओ 
और नाच लो ज़रा,
यारों की इस महफ़िल में कोई 
मेहमान नहीं रह सकता,

सलामत खुद को करते हैं 
हमसे दूर जाकर वो,
मुझे बादल ही है मंजूर 
अभी आसमान नहीं बन सकता,

उन्हें ढकना, दिखा देना 
मिचौली खूब भाती है,
हवा मे उड़ते रहने दो 
नदी-तालाब नहीं बन सकता,

हमें खुद ही उठाएंगे 
बरस कर जब बहेंगे हम,
बैसाख मे मुस्कराएंगे
ज्येष्ठ मे तिलमिलाएंगे,
अभी बिज़ली गिराने दो 
अभी शैलाब नहीं बन सकता,

कभी पल्के बना लेंगे 
कभी पर्दा लगाएंगे,
अभी बाकी मोहब्बत है 
अभी अंजाम नहीं कह सकता,

यूँ तो नाम लेने से 
हमें सुकून मिलता है,
कसम को तोड़कर उनकी 
मैं बदनाम नहीं कर सकता,

वो इंकार करती हैं 
हमारी शायरी पढ़कर,
उनका नाम लिख-लिखकर 
उनको हैजान नहीं कह सकता,

वो आज भी दिखते हैं 
मेरी आँखों के आईनों मे,
मुँह छुपा तो सकता हूँ 
मगर मैं साफ़ नहीं कर सकता,

मेरे दोस्त जलाते है मुझे 
उनकी तस्वीरें दिखाकर,
मै रूठ तो जाता हूँ 
मगर मुस्कान नहीं ढक सकता,

वो लंदन की गोरी हैं 
मैं खादी पहनता हूँ,
इशारे समझता हूँ 
पर बात नहीं कर सकता,

उनको मिलने के बहाने 
हम तो क्लास जाते हैं,
कहीं transfer न हो जाए 
इसलिए फॉर्म नहीं भर सकता,

गुल-ए-गुलफाम की गुंजाईश 
गुरबत मे कर रहा हूँ,
दोनों हाथ लिख लूंगा 
मैं आराम नहीं कर सकता,

कैफ़ियत लूटा दी अपनी 
हैसियत बनाने में,
अब जुनून है इरादों मे
फ़खत अरमान नही कह सकता,

इश्क हो रहा है तो भी 
आजमाना चाहता हूँ,
दिल की बात को इस बार 
मैं 'हे राम' नहीं कह सकता,

वो खुल के भींगती हैं 
हम छाता ओढ़ाते हैं,
उन्हें पहले से सर्दी है 
मै बुखार नहीं कर सकता,

बड़ी सिद्दत से चाहा है 
मेरी प्राइवेट मोहब्बत है,
PC-16 भी पढ़कर 
सरकारी काम नहीं कर सकता,

वो दवा- दारु पे जीती हैं 
मैं योगी महात्मा हूँ,
जाम बना तो सकता हूँ 
मगर प्रणाम नहीं कर सकता,

वो देखें रात भर फ़िल्में 
मै सुबह सूरज उगाता हूं,
मैं attendance तो लगा दूँगा 
उनको क्लास नहीं ला सकता,

जब लाइब्रेरी मे सामने वो 
मेरे चुप-चाप सोते हैं,
सूरज थाम लेता हूँ 
की अब शाम नहीं कर सकता,

सितारों आओ और उनको 
शामियाना सजा दो,
मेरे हाथ जल गए हैं 
मैं इन्तेजाम नहीं कर सकता,

बहारों आओ और 
उनको लोरियाँ सुना दो,
उनको नींद आ रही है 
दिल के पैगाम नहीं कह सकता,

अभी मुकर्रर न करो 
हमारा नाम महफिल मे,
उनकी खिदमत मे लगा हूँ 
मैं कोई काम नहीं कर सकता,

गंगा जटाएं छोड़ दो 
मोहन की मुरली तोड़ दो,
चाँद छुप जाओ कहीं 
सूरज निकलना छोड़ दो,
फरिश्ता हो गए हैं वो 
उन्हें इंसान नहीं कह सकता,

उनका नाम जपकर हम 
काफ़िर हो हैं अब,
इन्हीं नजरों से सूरज को 
नमस्कार नहीं कर सकता,

मुजाहिर अब कहेंगे लोग 
वापस जब भी जाएंगे,
तुम्हारे दर से भी बेहतर 
मै कोई धाम नहीं कह सकता,

'चीकु' ने दिया धोखा 
उन्हें सबसे शिकायत है,
तुम्हारी आन की कीमत तो 
दीवान-ए-आम नहीं भर सकता,

करोड़ों फूल खिलते हैं 
जब वो मुस्कराते हैं,
Oppenheimer बनाकर बम 
भी वो मुकाम नहीं कर सकता,

अभी थोड़ा-सा लेटे हैं 
जरा आराम करने को,
उनकी याद आयी तो 
मैं करवट थाम नहीं सकता,

परेशानियों मे भी
हम उनको याद करते हैं,
वो उदास न होये 
की मैं नाकाम नहीं रह सकता,

अब नहीं है उनसे 
कोई उम्मीद मिलने की,
पर दिल है जनाब 
कोई बाँध नहीं सह सकता!

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