बना-बनाकर,
मुंह को सबसे छुपा-छुपाकर
रहती खुद के घेरे मे ही,
दोस्त मित्र को भगा-भगाकर।
गाली देकर डरा-डराकर,
कुछ लोगों को दबा-दबाकर,
लिपट-लिपटकर
रुला-रुलाकर।
फोन उठाकर
गढ़ती कहानियां,
टेसू अपने बहा-बहाकर
डॉक्टर को भी,
सत्य को भी,
सबको गंदा दिखा-दिखाकर,
कीचड़ उनपर मसल-मसलकर,
करती उनका चरित्र तुम धूमिल,
अपना character,
गिरा-गिराकर।
राम-राम का मंतर जपती,
सीता सबकी चुरा-चुराकर।
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