Saturday, 22 May 2021

Characterless

तुम बता-बताकर 
बना-बनाकर,
मुंह को सबसे छुपा-छुपाकर 
रहती खुद के घेरे मे ही,
दोस्त मित्र को भगा-भगाकर।

गाली देकर डरा-डराकर,
कुछ लोगों को दबा-दबाकर,
लिपट-लिपटकर
रुला-रुलाकर।

फोन उठाकर
गढ़ती कहानियां,
टेसू अपने बहा-बहाकर 
डॉक्टर को भी,
सत्य को भी,
सबको गंदा दिखा-दिखाकर,
कीचड़ उनपर मसल-मसलकर,
करती उनका चरित्र तुम धूमिल,
अपना character,
गिरा-गिराकर।

राम-राम का मंतर जपती,
सीता सबकी चुरा-चुराकर।

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...