Sunday, 26 May 2019

मैं

तुम्हे मुझ पर विश्वास नहीं
किंचित यह एहसास नहीं
मैं भी सत्य की साधक हूँ
सत्य की ही मैं प्रचारक हूँ

मैं हूं बोलती सत्य वचन
सत्य ही मेरे कर्म और मन
मैं भी सत्य जानती हूँ
कुछ कम है पर, मानती हूँ
पर सत्य को माथे धरती हूँ
उस पर मुखर हो लड़की हूँ।

जो सत्य ने मेरा जान सके
मेरी बात पर ना विश्वास रखे,
उस पर हो जाती वाणी प्रखर
आंखें चौड़ी और रक्त प्रबल,
गहरी सांसें और फैले विवर
रोष-विकार भौहें-अतल।

क्षमा क्षमा सर्वज्ञ-सबल
विश्वास न मांगे सत्या है,
बसता मैं मे कब ब्रह्म भला
मैं का तो मूल ही मिथ्या है।

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