पाँच बैठते,
आने वाले स्टेशन पर
साथ उतरते,
हाल पूछते, चाल पूछते,
काम पूछते और
धाम पूछते,
ये कर रहे मज़ाक
वो विधान पूछते,
कोई गेट पर खड़े- खड़े
कोई बीच में पड़े- पड़े,
कोई लटक रहा ऊपर
कोई बैठकर यत्र-तत्र,
वो देश मे बना नया
प्रधान पूछते,
वो नापते हैं खेत
वो जानते हैं फुट
वो राजमिस्त्री हैं,
वो जानते हैं क्षेत्र
वो जानते हैं रूट
वो ज्ञान- शास्त्री है,
वो जाने- आने, बैठने का
रिवाज़ जानते हैं,
ये जनरल डिब्बे के यात्री
खुद का मुकाम जानते हैं,
इन शीटों पर फैलते हैं
खुद का मकान जानते हैं,
ये खुदा जानते हैं,
श्री राम जानते हैं!
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