Thursday 16 September 2021

शिष्य

शिष्य और गुरु का संबध
कैसा है ये कौन जाने?

गुरु समझता शिष्य के गुण
देखकर बस चाल ही,
वह ही जाने,
कौन रावण और किसे
वह राम माने

वह ही जाने कर्ण को
देना कौन–सा अभिशाप है,
किस स्वरूप मे है ज्ञान उसका
धर्म के संस्थापनार्थ,

द्रोण जाने कौन देगा
अंगुष्ठ उसको दान मे,
कौन बनकर विश्व–धनुर्धर
प्राण लेगा संग्राम मे।

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