जग मे जो
मैंने नहीं किया है,
मैंने नहीं लूटी है अस्मत
बोली से और बातों से
या मैने नही देखी है जाति
नाम पूछकर यारों से,
क्या मैंने नहीं चाहा
की मर जाए वो,
गलत काम जो करता है
क्या मैंने नहीं चाहा
की टांग खींच दूं
जो आगे मुझसे चलता है
बस गोली और
बंदूक नहीं थी
हाथ मेरे, छोटा था मै
मै कैसे कह दूं
पाप नहीं वह
मन मे ही बस
करता था मै,
मै भी बैठा था
दरबार मे तब,
जब द्रौपदी सभा
मे आई थी,
मैने भी दागी थी गोली
जब "हे! राम" कोई
चिल्लाया था !
कैसे कह दूं की मैने गांधी को नही मारा?
No comments:
Post a Comment