Sunday 20 August 2023

करार

ये जो दिल का करार है 
क्यूँ रह गया तुम्हारे पास है,
ना तुक है, ना सवाल है 
ना तरीके मिलते हैं 
ना इज़हार है,

सोचते भी हैं तो 
उसमे भी तकरार है,
जीवन मे कोई 
तलब तो नहीं,
तुमसे मिलने की कोई 
वजह तो नहीं,
फिर आरजू मे क्यूँ 
एक आवाज़ भर दरकार है?

क्यूँ खुशी है तुम्हारे 
चर्चों की गूँज से,
क्यूँ गलतियाँ तुम्हारी 
दिखती ना पास से,
छुप जाती हर कमी 
मुस्कान के नूर से,
तुमसे दूर जाने की 
मुझे कैसी तलाश है?


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