Wednesday 9 August 2023

मुसीबत

हमसे ना मिलें मिलने वाले 
तो कोई बात नहीं,
पर उनसे मिल रहे हैं 
तो मुसीबत है!

मुझे देखकर न मुस्कुराए 
तो कोई बात नहीं, 
उनसे खुल के हंस रहें हैं 
तो मुसीबत है!

हमारा जवाब नहीं दे
तो कोई बात नहीं, 
उनकी नजर पढ़ रहे हैं 
तो मुसीबत है!

हमसे बैग भी उठबाये 
तो कोई बात नहीं,
उनका स्वैग उठा रहे हैं 
तो मुसीबत है!

हमारी बगल मे ना बैठे 
तो कोई बात नहीं,
उन्हें पलकों पर बैठाएं 
तो मुसीबत है!

नजर से गिरा दिया
तो कोई बात नहीं,
नजर ही ना आयें 
तो मुसीबत है!

कत्ल करने निकले हैं 
तो कोई बात नहीं,
पर जला के मारेंगे
तो मुसीबत है!

मर्ज न मिले
तो कोई बात नहीं,
मरहम ना मिले 
तो मुसीबत है!

काफ़िरों से दिल लगाए 
तो कोई बात नहीं,
काबिलों से मिल भी लें 
तो मुसीबत है!

फोन न उठाएँ 
तो कोई बात नहीं,
फोन बिजी आ रहा है 
तो मुसीबत है!

सोचते हैं शायरी सुनकर 
तो कोई बात नहीं,
पर हँसी आ रही है 
तो मुसीबत है!

हमारा गुमान तोड़ दे 
तो कोई बात नहीं, 
उनको इनाम दे रहे 
तो मुसीबत है!

इस तस्वीर मे तुम्हारी 
कोई और नहीं दिखा,
कोई और बोल दे 
तो मुसीबत है!

दोस्त कहें रावन 
तो कोई बात नहीं,
पर राम ना कहें 
तो मुसीबत है!

फिरनी से मुँह मीठा करें 
तो कोई बात नहीं!
फिरकी से कसे 
तो मुसीबत है!

वो छक्का भी मारें 
तो कोई बात नहीं,
पर एम्पायर आंख मारे 
तो मुसीबत है,

जीतने को खेलें 
तो कोई बात नहीं, 
जीतकर खेल दे 
तो मुसीबत है!

और बेईमानी करें 
तो कोई बात नहीं,
2 इंच से करें 
तो मुसीबत है!

रोहितास शतक मारे 
तो कोई बात नहीं,
सचिन रहे नाबाद 
तो मुसीबत है,

वो नजर चुराए
तो कोई बात नहीं,
वो नजर भी ना आए 
तो मुसीबत है!

महफ़िल मे सब सुनें 
तो कोई बात नहीं,
वो देख भी ले 
तो मुसीबत है!

वो साथ न बैठे हमारे 
तो कोई बात नहीं,
उनके साथ नाच लें 
तो मुसीबत है!

वो नाम भी लिख दें 
तो कोई बात नहीं;
हम क...क....क.. भी कहें 
तो मुसीबत है!

वो पेग भी बनाए 
तो कोई बात नहीं,
हम कुर्बानी कर रहें 
तो मुसीबत है,

वो मेमो इशू करें 
तो कोई बात नहीं,
हम रोष भी करें 
तो मुसीबत है!

वो क्लास मे सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम प्रश्न भी पूछ ले 
तो मुसीबत है!

वो रात भर पीए
तो कोई बात नहीं,
हम योग न आए 
तो मुसीबत है!

वो रूम से भगा दे 
तो कोई बात नहीं,
पर हाथ जोड़ लें 
तो मुसीबत है!

वो चुप करा दें 
तो कोई बात नहीं,
पर दो बात ना बोलें 
तो मुसीबत है!

वो दरवाजा न लगाए 
तो कोई बात नहीं,
पर पर्दा भी हटा दे 
तो मुसीबत है!

वो 10 पेग पीए
तो कोई बात नहीं,
हम दो शायरी लिख दे
तो मुसीबत है!

वो दोपहर तक सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम रात भर पढ़ें
तो मुसीबत है!

वो महल खड़ी करें 
तो कोई बात नहीं,
हम फीस भी भरें 
तो मुसीबत है!

वो ठाठ से सोये 
तो कोई बात नहीं,
हम राह पर चले 
तो मुसीबत है!

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