और बाहर कहाँ तक है,
मेरी कमीज़ से तमीज 
उजागर कहाँ तक है?
ये बेल्ट के ऊपर 
उभरी हुयी क्यूँ है 
ये आस्तीन भी आधी 
उतरी हुयी क्यूँ है?
ये टोकने की जिद है 
मुझे ढूंढती आयी,
आज गिरहबान खुली 
उठती हुयी क्यूँ है?
सब धार ले पोशाक 
संत मैकाले वाली,
'बापू' की तस्वीरे आज 
खुरची हुयी क्यूँ है?
ये कमीज़ मे तमीज 
लिपट गई क्यूँ है?
कुर्ता बनी मूर्खता की 
प्रतीक हुई क्यूँ है? 
सब राम बनने के लिए 
कुछ साफ़ हो गए हैं,
कुर्ता-पायजामा छोड़कर 
मेहमान हो गए हैं,
कुछ निकल रहा पीछे 
मेरी पुंछ है शायद,
लंका जलाने के लिए 
है छूट गई शायद! 🙏
 
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