जब भी मद की कमी पड़ेगी
जब सूखे होंगे मन के वृंद,
जब शाम ढलेगी मिले बिना
जब बंद होंगे सारे अरविंद,
तब हाथ पकड़ कर चलने को फिर
साथ रहेगी मधुशाला!
जब रात पहर मे पढ़ते-पढ़ते
आने-जाने लगे नींद पर नींद,
जब नारियल पानी नहीं बिकेगा
वो गुस्से मे होंगे तंग-दिल,
जब मेमो मिलेगा अच्छे काम पर
खोलेंगे रिश्तों के ज़िल्द,
तब अपने गले लगाकर
अपना लेगी मधुशाला!
जब t-shirt खोजने वालों पर
इल्ज़ाम लगेगा चोरी का,
जब राम नाम के मधुकर का
सामना हो सीना जोरी का,
जब पहनावो की तर्ज़ पर
बाटें जाएंगे भले-बुरे,
जब चुप रहने वालों को दुनिया
बोले कमज़ोरी के जन्मे,
तब जटा खोल, गंगा निकालकर
धो देगी मैल, कर देगी तर
नहला देगी मधुशाला!
No comments:
Post a Comment