Tuesday, 21 November 2023

छूटा

छूट गया वो चौरा जाना 
छूट गया कुछ ठेकवा- लाई 
कुछ फल खाने को छूट गए 
कुछ ताश के पत्ते बिखरे रह गए 
उन्हें उठाना छूट गया,

छत पर सुबह उठकर व्यायाम 
कुछ सूर्य-नमस्कार छूट गया,
वो आत्मा और परमात्मा का मिलन 
कुछ प्राणायाम हमरा छूट गया,

हमने किया प्रणाम चाचा को 
और उठाए कुछ धान की गांठें,
कुछ सीमाएं लांघे ही नहीं 
पानी सूखना, मेल-मिलान ही छूट गया,

वैशाली के स्तूप भी छूटे 
राजगीर का महल बड़ा,
अर्घ दिया सूरज को जाकर 
मनभर डुबकी लगा लिया,
पर वहाँ पर गंडक मे सब 
अपना- तुम्हारा छूट गया,

ले आया शरीर मैं अपना
ओढ़ना-बिस्तर भी ले आया,
पाहूर ले आया झोले भरकर 
पर भूख-प्यास ही छूट गया,
त्यौहार तो बीत गए 
पर भाई चारा छूट गया
खुशी जुटा ली भरकर मुट्ठी
दिल बेचारा छूट गया
क्रिकेट देखने रात को जागे,
चैन से सोना छूट गया!


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