Monday, 6 November 2023

ज़रूरत

एक ज़रूरत की चीज़ थी 
जो रखे हुए ख़राब हो गई,
वो अंगूरों का रस थी तर्बियत के लिए,
आज हमारे लिए वो शराब हो गई,

अब सुधरने मे उसकी 
मशक्कत बड़ी होगी 
हमारा नाम लेकर वो 
बहुत बर्बाद हो गई,
और आजमाना था उसे 
हमारे दिल फरेब को,
वो शुरुआत से पहले ही 
तलबगार हो गई!


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