पहन कर चलते,
हम रुकते
माटी से पहले,
माटी कर देती
मटमैले,
रंग चमक की
फेंके उजले,
माटी से माटी
बचना चाहे,
माटी सफ़ेद ही
रहना चाहे,
बापू के वस्त्र
की कर अभिलाषा,
सामने रखना
चाहे आग,
बापू के तौर तरीकों से
आए कैसे लाज,
माटी और
सफ़ेद मे भेद,
आज चाहता मटियामेट!
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