Wednesday 8 November 2023

माटी और सफ़ेद

आज सफ़ेद 
पहन कर चलते,
हम रुकते 
माटी से पहले,
माटी कर देती 
मटमैले,
रंग चमक की 
फेंके उजले,
माटी से माटी 
बचना चाहे,
माटी सफ़ेद ही 
रहना चाहे,
बापू के वस्त्र 
की कर अभिलाषा,
सामने रखना 
चाहे आग,
बापू के तौर तरीकों से 
आए कैसे लाज,
माटी और 
सफ़ेद मे भेद,
आज चाहता मटियामेट!


No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...