पलकों मे कुछ स्वप्न लिए
जब साहिल पर तु आएगी,
विस्तार देखकर सागर का
फिर मन ही मन घबराएगी
तब अपनी निर्दिष्ट सफलता पर
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
अपनी धुन में रमा हुआ
जब नाविक तुझे निकालेगा,
जब ठहेरे पानी से खेकर
मझधार में तुमको तारेगा,
तब उसकी निश्छल मंशा पर
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
जब तट पर करके प्रहार
तुझे वेग देगा मल्हार,
फिर धीमे से पीछे करके
जल को, देगा तुझको विस्तार,
तब उसकी अचल प्रबलता पर
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
छुट -मुट लहरों से मिलकर
जब तेरा मन उकसायेगा,
जब तेरा मन उकसायेगा,
उन्मुक्त लहर से मिलने को
फिर तेरा मन ललचाएगा,
तब उसकी मंद कुशलता पर
ऐ नाव ज़रा तू धीरज रख ।
ऐ नाव ज़रा तू धीरज रख ।
जब विलसित से मिल जायेंगे
कई बंधू तुझको राहों मे,
प्रेम-क्रीडा में मस्त कहीं
अल्हड़ सागर की बाँहों में,
तब अपनी व्याकुलता पर
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
जब पहली बूँद मचलकर कुछ
तेरे मस्तक को चूमेगी,
लहरों की बाँहों से रिसकर
हर रोम में सिरहन झूमेगी,
तब अपनी उत्कंठा पर
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
इक बार अनंत के साए मे
तु बेसुध हो लहराएगी,
मदहोश किसी गहरायी मे
कई बार हिलोरे खाएगी, उन्मादों की उस सरिता में
ऐ नाव ज़रा तु धीरज रख ।
जब तृप्त होकर अरमानों से
निश्चल धारा मे ठहरेगी,
और यादों का उपहार लिये
तु फिर से तट पर फेहरेगी,
तु फिर से तट पर फेहरेगी,
तब तक नाविक झमता पर
ऐ नाव तु पूरा धीरज रख !!
admiring.............
ReplyDeletethank you.....
ReplyDeletenice dheeraj
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