दिल को होते हैं तुझसे गिले शिक़वे गम
क्यों ना तुझे मै पूरा जान लुँ !!
सजदा करूँ तुझको शाम-ओ-सहर
ख्वाबों मे देखूँ तुझे हर पहर,
रूमानियत में भी
तेरी करूँ इल्तिज़ा,
क्यों न तुझको मै ऐसा खुदा मान लुँ ॥
हर नज़र में मेरी
तेरा ही अक़्स हो,
बिन तेरे न कोई
फिर मेरा शख़्स हो,
माएने ज़िन्दगी के
कुछ ऐसे मै,
तेरे मकसद मे होना फ़ना मान लूँ ॥
सौदा गर जो करू
अपना बाज़ार में,
मेरी बोली लगे तेरे
आसार मे,
उस मुवक्किल को
अपनी मुक़द्दर मे मै,
क्यों न जन्नत का ही रहनुमा लुँ ॥
-धीरू
Wow dheeraj.. Really nice yaar.. Very nice.
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