तुझसे बातें करूँ
तुझसे मिन्नत करूँ,
तुझसे जिद्द भी करूँ
और बगावत भी,
कभी पलकों मे रखके
इबादत करूँ,
कभी नज़र मे चढ़ाकर
शिकायत भी,
तेरी मुस्कान पे
आयतें भी लिखूँ,
तेरी नादानियों पर
हिदायत भी,
तुझको उड़ने भी दुँ
आसमां के परे,
तुमको पल्कों मे
रक्खूँ छुपाकर भी,
तुम मेरी कोशिशों की
आफ़रीन हो,
तसव्वुर का मेरी
तुम ही आमीन हो,
तुम रिसती हो मेरे
पिघलने से ही,
मै उमड़ता हूँ
तेरे उभरने से ही,
तुम "तुम" हो नहीं
तुम मैं ही तो हूँ ।।
तुझसे मिन्नत करूँ,
तुझसे जिद्द भी करूँ
और बगावत भी,
कभी पलकों मे रखके
इबादत करूँ,
कभी नज़र मे चढ़ाकर
शिकायत भी,
तेरी मुस्कान पे
आयतें भी लिखूँ,
तेरी नादानियों पर
हिदायत भी,
तुझको उड़ने भी दुँ
आसमां के परे,
तुमको पल्कों मे
रक्खूँ छुपाकर भी,
तुम मेरी कोशिशों की
आफ़रीन हो,
तसव्वुर का मेरी
तुम ही आमीन हो,
तुम रिसती हो मेरे
पिघलने से ही,
मै उमड़ता हूँ
तेरे उभरने से ही,
तुम "तुम" हो नहीं
तुम मैं ही तो हूँ ।।
Pehle paragraph bahut hi mast lga mujhe .
ReplyDeleteतुझसे बातें करूँ
तुझसे मिन्नत करूँ,
तुझसे जिद्द भी करूँ
और बगावत भी,
Sachche Pyar ko darshata ek sundar aa national .
*sundar sa namoona
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