कितनी बार किया है मैंने
नासाज़ हो जो की तबियत तुम्हारी,
कभी फ़ोन तुम भी किया करो
कभी दिल्ली की बातें बताया करो,
कभी मुंबई शहर में घुमाया करो,
जो करती हो PhD किसी field मे
चाहे उसी का रोब दिखाया करो
युहीं SCROLL करते हुए फ़ोन पर
कभी मेरा भी नंबर घुमाया करो
कभी उलझन मे अपनी फसाया करो,
कभी बातों से अपनी डराया करो,
कभी TRAIN की तो कभी rain की
कोई लम्बे से किस्से सुनाया करो
नासाज़ हो जो की तबियत तुम्हारी,
कभी मुझसे भी दिल बहलाया करो
कभी मम्मी से बातें कराया करो,
कभी गाना भी कोई सुनाया करो,
हर जनमदीन देती थी पहली बधाई,
कभी उसी बात को दुहराया करो
अब तो पैसो की किल्लत नहीं है तुम्हे,
पर जो चाहो तो miss call ही ज़ाया करो
मेरे रोने पे तुम भी तो रो देती थी,
मेरे ख्वाबों मे खुद को पिरो देती थी,
अपनी सखियों से लेती थी मेरी खबर भी,
जानती थी की तुमपर है मेरी नज़र भी
वो यादें अभी जेहन से लगी हैं
कभी झरोखों से परदे हटाया करों
हाँ ! किया था ये वादा मिलेंगे नहीं फिर,
इतनी सिद्दत से न उसको निभाया करो |
कभी मम्मी से बातें कराया करो,
कभी गाना भी कोई सुनाया करो,
हर जनमदीन देती थी पहली बधाई,
कभी उसी बात को दुहराया करो
अब तो पैसो की किल्लत नहीं है तुम्हे,
पर जो चाहो तो miss call ही ज़ाया करो
मेरे रोने पे तुम भी तो रो देती थी,
मेरे ख्वाबों मे खुद को पिरो देती थी,
अपनी सखियों से लेती थी मेरी खबर भी,
जानती थी की तुमपर है मेरी नज़र भी
वो यादें अभी जेहन से लगी हैं
कभी झरोखों से परदे हटाया करों
हाँ ! किया था ये वादा मिलेंगे नहीं फिर,
इतनी सिद्दत से न उसको निभाया करो |
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